महाराष्ट्र में पवार परिवार का दबदबा है। दशकों तक राजनीति में अपना सिक्का चलाने वाले शरद पवार, अपने परिवार में अपना सिक्का नहीं चला पाए। उनके भतीजे अजित पवार, उनकी ही पार्टी तोड़कर चले गए, अलग पार्टी बनाई और महायुति गठबंधन का हिस्सा बन गए। यह परिवार अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ ही सियासी मैदान में उतरने लगा।

बारामती लोकसभा सीट से सुनेत्रा पवार और उनकी ननद सुप्रिया सुले उतरीं। अजित पवार के भतीजे युगेंद्र पवार उनके खिलाफ विधानसभा चुनावों में उतरे। अब इस परिवार की एक बुजुर्ग सदस्य ने अपील की है कि चाचा-भतीजे की सियासी जंग खत्म हो, परिवार एक हो। 

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की मां आशा ताई पवार ने पंढरपुर मंदिर जाकर विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में अपने परिवार के विवाद को सुलझाने की प्रार्थना भगवान से की है। 

अजित पवार की मां ने क्या कहा है?
अजित पवार की मां आशा ने कहा, 'सभी विवाद अब खत्म हो जाने चाहिए। शरद पवार और अजित पवार को फिर से एक होना चाहिए। अजित पवार की सभी इच्छाएं पूरी होने की भी प्रार्थना है। मैंने परिवार के एक होने की प्रार्थना की है।'

क्या NCP को एक होना चाहिए? 
मराराष्ट्र में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) की स्थापना शरद पवार ने की। उनके भतीजे ने शरद पवार को ही एनसीपी से हटा दिया। शरद पवार की एनसीपी (शरद पवार) नाम से जानी जाती है। आशा अकेली नहीं हैं, जिन्हें चुनावी नतीजों के बाद ऐसा लग रहा है कि परिवार को एक होना चाहिए।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के एक महीने बीत गए हैं। अब कई लोग कह रहे हैं कि एनसीपी को एक हो जाना चाहिए। अजित पवार, शरद पवार की छाया में रहे हैं। अब उनका राजनीतिक जीवन ढलान पर है। वह सक्रिय हैं लेकिन उम्र 80 साल से ज्यादा हो गई है। एनसीपी नेताओं का एक धड़ा मानता रहा है कि अब उन्हें एकजुट हो जाना चाहिए।

NCP के 'देवता' हैं शरद पवार
अजित पवार के सहयोगी और एनसीपी के सीनियर नेता प्रफुल्ल पटेल ने शरद पवार को देवता बताया है। उन्होंने कहा है वे शरद पवार का बहुत सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, 'अगर पवार परिवार एक साथ आता है तो हमें बेहद खुशी होगी। मैं खुद को पवार परिवार का सदस्य मानता हूं।'

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनसीपी विधायक नरहरि जिरवाल ने भी कहा है कि शरद पवार को छोड़ना खराब लगा था। नरहरि बताते हैं, 'कई लोग भी ऐसा ही महसूस करते हैं। अब मैं उनके पास जाऊंगा और उनसे साथ आने की अपील करूंगा।' 

कब बिखरे थे रिश्ते?
जून 2023 में अजित पवार और शरद पवार के बीच अनबन बढ़ी थी और अजित पवार, एनडीए गठबंधन का हिस्सा हो गए थे। अजित पवार अब महायुति के दिग्गज नेता हैं, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस के गहरे दोस्त हैं।  अजित जून 2023 में एनसीपी से अलग हो गए थे। वह अपने 40 विधायकों के साथ बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति का हिस्सा बन गए थे। नवंबर में विधानसभा चुनाव हुए तो अजित पवार की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया। जिन सीटों पर एनसीपी बनाम एनसीपी की लड़ाई थी, उनमें अजित गुट ने 29 सीटें जीत ली थी। अब एनसीपी के पुराने समर्थक, चाहते हैं कि पवार परिवार एक हो जाए। 

एनसीपी का क्या कहना है?
एनसीपी प्रवक्ता अमोल मिटकरी का कहना है कि शरद पवार और अजित पवार की जोड़ी एकसाथ आ सकती है। दोनों साथ कोशिश करें। उनका कहना है कि शरद पवार के साथी जितेंद्र अव्हाड़ और शरद पवार के पोते रोहित पवार इसमें बाधा बन सकते हैं। वे कभी नहीं चाहेंगे कि दोनों एक साथ आएं।

अमोल मिटकरी का मानना है कि दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता की मूल विचारधारा एक है। सभी चाहते हैं कि एक साथ परिवार आ जाए। यह फैसला पवार परिवार को ही लेना है। अगर आशा पवार कह रही हैं कि पवार परिवार को साथ आना चाहिए तो यह उनका फैसला है।

BJP क्या सोचती है?
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का कहना है कि दोनों अगर साथ आ रहे हैं तो बीजेपी को आपत्ति क्यों होगी। फैसला उन्हें करना है।