बिहार विधानसभा चुनाव को होने में अभी सात से आठ महीने का वक्त बाकी है, लेकिन राज्य के सीएम नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड नौंवी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए नीतीश खुद 'प्रगति यात्रा' पर निकले हुए हैं। वह इस यात्रा के द्वारा सरकारी योजनाओं के साथ बिहार की जनता को साधने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, उनकी पार्टी जेडीयू समाज के हर वर्ग को जोड़ने की कवायद में जुटी हुई है।
मुख्यमंत्री नीतीश अपनी प्रगति यात्रा के जरिए बिहार के विभिन्न जिलों में नई योजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं। नीतीश कुमार की सभी घोषणाओं में से संबंधित 30 हजार करोड़ की 243 योजनाओं को मंजूरी दी गई है।
30 हजार करोड़ की योजनाओं को स्वीकृति
इस दौरान सीएम ने कहा था, 'प्रगति यात्रा के दौरान 30 हजार करोड़ रुपए की लागत से 400 से अधिक योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे बिहार के चौतरफा विकास को गति मिलेगी और ये जनकल्याणकारी योजनाएं जिलों के समुचित विकास के लिए मील का पत्थर साबित होंगी।' मगर, जेडीयू अध्यक्ष इन सबके अलावा मुख्य विपक्षी दल आरजेडी के वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी मारने की योजना बना चुके हैं।
बिहार के 17.7 फीसदी मुसलमानों पर नजर
नीतीश और उनकी पार्टी का ध्यान बिहार के 17.7 फीसदी मुसलमानों पर है। वह राजद के इस मजबूत वोटबैंक को तोड़कर अपने में मिलाने की योजना बना रहे हैं। इस सिलसिले में जेडीयू ने 28 फरवरी को अपने 'एक्स' प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर की। इस पोस्ट में मुस्लिम युवाओं को रिझाने के लिए सरकारी नौकरी देने की बात कही गई है।
चुनाव से सात महीने पहले नीतीश कुमार सरकार ने नौकरी की बात की है। इसके मुताबिक, 'नीतीश सरकार राज्यभर में 1064 सहायक उर्दू अनुवादकों की जल्द नियुक्ति करेगी।' इसमें नारा दिया गया है, 'सबको अवसर, सबको काम। नीतीश जी की यही पहचान।'
मनेर शरीफ दरगाह पहुंचे नीतीश
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 10 जनवरी को नवादा के दौरा पर थे। इस दौरान वह मनेर शरीफ दरगाह पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने चादरपोशी की और बिहार में सद्भाव, समृद्धि, अमन-चैन और खुशहाली कायम रहने की दुआएं मांगी। यह दरगाह सूफी संत हजरत मख्दूम शाह कमालुद्दीन अहमद यहया मनेरी की है। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम श्रद्धालु आते हैं।
'मुसलमानों के लिए काफी काम किया'
ऐसे ही नीतीश कुमार ने पिछले साल 9 नवंबर को आरा में एक सभी को संबोधित करते हुए कहा था कि हमने मुसलमानों के लिए काफी काम किया है जबकि विपक्ष ने उन्हें सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल किया है। उन्होंने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा, 'मुसलमानों को इधर-उधर नहीं जाना चाहिए।' नीतीश का यह बयान साफ तौर के आरजेडी के लिए था।
सीएम नीतीश राज्य के मुसलमानों को यह अहसास दिलाना चाहते हैं कि वह ही मुसलमानों के सच्चे हितैशी हैं। इसलिए वह वक्त-वक्त पर मुस्लिमों को लेकर सॉफ्ट बयान दे देते हैं। इसी दौरान उन्होंने कहा, 'चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, अपर कास्ट हो, पिछड़ा हो, अति पिछड़ा हो, दलित हो, महादलित हो सभी के लिए हमने काम किया है। मुसलमान समुदाय के लिए हमने काफी काम किया है। मदरसों को सरकारी मान्यता दी गई। मदरसों के शिक्षकों को वही सैलरी दी जो सरकारी शिक्षक को दी जाती है।'
नीतीश का मुसलमानों से वादा
बिहार की पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए नीतीश राजद पर निशाना साधते हुए कह चुके हैं कि भागलपुर में हिंदू-मुस्लिम दंगा हुआ था, किसी ने कुछ नहीं किया। हम लोग 2005 में आए तो, हमने इन दंगों की जांच कराई, जो गड़बड़ थे उनके खिलाफ कार्रवाई हुई। अपनी चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री नीतीश लालू प्रसाद और रबड़ी देवी के शासनकाल पर निशाना साधते रहे हैं। वह अक्सर कब्रिस्तान की घेराबंदी और मदरसों की मान्यता दिलाने जैसे कामों को गिनाते हुए मुसलमानों को रिझाने की हमेशा कोशिश करते हैं।
सहरसा में उन्होंने एक बयान देते हुए मुसलमानों के लिए किए गए अपने कामों को गिनाया था। उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार ने मदरसा में पढ़ाने वालों को नौकरी दी है। आठ हजार कब्रिस्तानों की घेराबंदी करवाई। साथ ही वह पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि चुनाव बाद और एक हजार कब्रिस्तानों की घेराबंदी कराएंगे।
कुल मिलाकर नीतीश कुमार के ये बयान और एक्शन इस ओर इशारा कर रहे हैं कि वह लालू प्रयाद और उनकी पार्टी के कोर वोटर में सेंधमारी करना चाहते हैं।