बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के लिए महाराष्ट्र में हर दिन नए गठजोड़ देखने को मिल रहे हैं। शरद पवार और अजीत पवार रंजिश भुलाकर साथ आए, दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे साथ आ गए। कांग्रेस को न तो नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) का साथ मिला, न शिवसेना (यूबीटी) का। महा विकास अघाड़ी (MVA) से अनबन के बाद अब पार्टी ने बीएमसी चुनावों के लिए नया सियासी गठजोड़ किया है। कांग्रेस अब महाराष्ट्र का चुनाव अकेले नहीं, बल्कि गठबंधन में लड़ेगी। यह गठबंधन, चौंकाने वाला है। 227 वार्डों में उतरने का दावा ठोक चुकी कांग्रेस के कार्यकर्ता भी इस पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं।
कांग्रेस ने 15 जनवरी को होने वाले चुनाव में सभी 227 वार्डों पर अकेले चुनाव लड़ने का दावा किया था, लेकिन रविवार को पार्टी ने प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन आघाडी (VBA) के साथ गठबंधन कर उसे 62 सीट दे दीं। नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने वीबीए के अलावा राष्ट्रीय समाज पक्ष (RSP) को 10 सीट दी है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई गुट) को 2 सीटें दी हैं।
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कांग्रेस कार्यकर्ता हुए नाराज
कांग्रेस ने पहले 227 सीटों पर अकेले लड़ने का मन बनाया था। कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने स्तर पर सभी 227 वार्डों में चुनावी तैयारियां कर ली थीं। अब मुंबई के कई पदाधिकारी, कांग्रेस के इस फैसले से बेहद नाराज हैं। मुंबई के सीनियर नेताओं का कहना है कि मुंबई यूनिट से संबंधित इतना महत्वपूर्ण निर्णय कांग्रेस की प्रदेश यूनिट के अध्यक्ष ने पहले क्यों नहीं घोषित किया। मुंबई यूनिट की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि वह गठबंधन और सीट समझौते से खुश हैं।
सिमटती जा रही है कांग्रेस
महाराष्ट्र में कांग्रेस की राजनीति एक तय दायरे में सिमटती जा रही है। महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद पार्टी अक्सर छोटी भूमिका निभाती रही है। अब कांग्रेस सीमित फैसले ले रही है। यही बात कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व को खटक भी रही है।
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कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज क्यों है?
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के एक पदाधिकारी ने कहा कि एनसीपी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के प्रभाव के आगे दबकर पार्टी धीरे-धीरे अपनी स्वतंत्र राजनीतिक आवाज खो बैठी है। सीट-समझौते से कांग्रेस की मुंबई इकाई के कार्यकर्ताओं को गहरा सदमा लगा है। पार्टी ने 6 लोकसभा क्षेत्रों में 10 से ज्यादा वार्ड सहयोगी दलों को दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई वार्ड भारतीय जनता पार्टी के गढ़ माने जाते हैं, जिससे विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने बिना किसी कड़े मुकाबले के ही ये क्षेत्र घटक दलों को सौंप दिए हैं। एक कार्यकर्ता ने कहा, 'प्रभादेवी-महीम क्षेत्र में वीबीए को वार्ड देना समझ से परे है। पहली बार निकाय चुनाव लड़ रही वीबीए को ऐसे क्षेत्रों में सीट दी गई हैं, जहां कोई दलित बस्ती नहीं है।'
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बीजेपी ने क्या तंज कसा है?
बीजेपी के नेताओं ने विले पार्ले का जिक्र करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में एकमात्र दलित बस्ती में बीजेपी और आरपीआई कार्यकर्ता रहते हैं। कांग्रेस के पास अधिकांश वार्डों में उम्मीदवार नहीं हैं। पार्टी ने अपनी इज्जत बचाने के लिए गठबंधन किया है। अब कांग्रेस कार्यकर्ता अपने आलाकमान से नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
