साल 2014 के बाद से हुए ज्यादातर चुनावों में कांग्रेस ने पाया बहुत कम है, गंवाया ज्यादा है। एक के बाद बीते एक दशक में कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस यहां हाशिए पर गई। साल 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही कांग्रेस लगातार तीसरी बात विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारी है। कांग्रेस हार पर लगातार मंथन कर रही है लेकिन उस मंथन का नतीजा नहीं निकल रहा है।
कांग्रेस ने लगातार हार से सबक लेते हुए कई संगठनात्मक बदलाव किए हैं। नए बदलावों में टीम राहुल गांधी की छाप नजर आ रही है। कांग्रेस ने 2 राज्यो के लिए महासचिव और 9 के लिए अलग प्रभारियों की नियुक्ति की है। जो नेता पार्टी के पदों पर थे, उन्हें हटा दिया गया है। कांग्रेस की कोर टीम में कुछ नए चेहरों को जगह मिली तो अनुभवियों का भी ख्याल रखा गया।
कांग्रेस के बारे में कहा जाता है कि यह अपने नेताओं को पदमुक्त नहीं करती है लेकिन 6 नेताओं को कांग्रेस ने फिलहाल के लिए पदमुक्त किया है, उन्हें नई जिम्मेदारियां भी नहीं सौंपी गई हैं।
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कहां-कहां हुए हैं बदलाव?
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को AICC सचिवालय में शामिल किया गया। उन्हें पंजाब का महासचिव बनाया गया है। राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का प्रभारी महासचिव बनाया गया है। नसीर हुसैन को झारखंड में भी अहम जिम्मेदारी मिली है।
भूपेश बघेल को देवेंद्र यादव की जगह जिम्मेदारी मिली है। देवेंद्र यादव दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख थे। वह बादली विधानसभा सीट से खुद चुनाव हार गए थे। पार्टी का प्रदर्शन दिल्ली में शून्य रहा था। देवेंद्र यादव के पास ही पंजाब विधानसभा सीट की जिम्मेदारी थी। गुजरात के नेता भरतसिंह सोलंकी पहले जम्मू और कश्मीर के प्रभारी महासचिव थे, अब वह पदमुक्त हो गए हैं।

क्या है संगठनात्मक बदलावों के मायने?
कांग्रेस ने जिन चेहरों पर भरोसा जताया है, उसमें ज्यादार प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के करीबी हैं। भूपेश बघेल, प्रियंका गांधी के भरोसेमंद रहे हैं। नासिर हुसैन, मल्लिकार्जुन खड़गे के करीबी हैं। वह मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय प्रभारी भी रह चुके हैं।
कांग्रेस ने किन राज्यो में बदले राज्य प्रभारी?
हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़: राज्यसभा सांसद रजनी पाटिल
हरियाणा: बीके हरि प्रसाद
मध्य प्रदेश: हरीश चौधरी
तमिलनाडु और पुड्डुचेरी: गिरीश चोडांकर
ओडिशा: अजय कुमार लल्लू
झारखंड: के राजू
तेलंगाना: मीनाक्षी नटराजन
मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और नागालैंड: सप्तगिरि शंकर उलाका, लोकसभा सांसद
बिहार: कृष्णा अल्लावरु
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जिन लोगों के भरोसे कांग्रेस उनके 'अनुभव' क्या हैं?
कांग्रेस ने जिन लोगों को नई जिम्मेदारी है, वे सभी अनुभवी हैं। पहले भी उन्होंने पार्टी के कई अहम पदों पर कार्यभार संभाला है। हरियाणा के प्रभारी बीके हरि प्रसाद कई राज्यों के प्रभारी महासचिव रह चुके हैं। रजनी पाटिल और हरीष चौधरी पहले भी प्रभारी रह चुके हैं।
गिरीश चोडांकर पूर्वोत्तर राज्यों के प्रभारी रह चुके हैं। अजय कुमार लल्लू, के राजू और कृष्णा अल्लावरु राहुल गांधी के करीबी नेता ही हैं। अजय कुमार लल्लू और प्रियंका गांधी के भी करीबी रहे हैं। मीनाक्षी नटराजन इससे पहले कांग्रेस के राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रमुख हैं।
अजय कुमार लल्लू यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। के राजू राहुल गांधी के साथ मिलकर काम कर चुके हैं। वह कांग्रेस के एससी-एसएसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक विभागों के नेशनल कॉर्डिनेटर रह चुके हैं। कृष्णा अल्लावरु युवा कांग्रेस के प्रभारी हैं। उन्हें बिहार का प्रभार दिया गया है। अब इन्ही राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। मीनाक्षी नटराज के पास राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रमुख की जिम्मेदारी है।
क्यों हुए हैं ये बदलाव?
26 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई थी। इन बैठकों में बदलाव की मांग हुई थी। कांग्रेस ने सभी स्तरों पर बदलाव का ऐलान किया था। कांग्रेस ने लक्ष्य रखा कि साल 2025 तक बड़े बदलाव होंगे। कांग्रेस महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में चुनाव में हार चुकी है। अब उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस नए सिरे से चुनावों में अपने लिए रणनीति तैयार करेगी।