तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने चेन्नई में केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित परिसीमन पर चर्चा के लिए कई राज्यों की संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) की बैठक बुलाई है। एमके स्टालिन ने कहा है कि परिसीमन पर विपक्षी दल, कानून का भी सहारा ले सकते हैं। बैठक में तेलंगाना, पंजाब और केरल जैसे राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि इस बैठक का मकसद देश के संघीय ढांचे की सुरक्षा और संविधान की रक्षा करना है। अगली बैठक हैदराबाद में होगी।
एमके स्टालिन ने आशंका जताई है कि जनसंख्या के आधार पर केंद्र सरकार परिसीमन के जरिए मौजूदा चुनावी सीटें घटा सकती है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि परिसीमन के बहाने नरेंद्र मोदी सरकार लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में सीटें घटाने की तैयारी कर रही है।
एमके स्टालिन ने उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बैठक के लिए न्योता दिया, जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकारें नहीं हैं। कुछ नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी जुड़े। कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि एमके स्टालिन के नेतृत्व में संघीय ढांचे और संविधान के रक्षा की बात हो रही है।
यह भी पढ़ें: स्टालिन को शाह की दो टूक! कहा- परिसीमन के बाद एक भी सीट कम नहीं होगी
बैठक पर किसने क्या कहा?
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा, 'हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, हम निष्पक्ष परिसीमन के पक्ष में हैं। अधिकार बने रहें, इसके लिए निरंतर कार्रवाई बहुत जरूरी है।'
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी सरकार बिना किसी परामर्श के इस मुद्दे पर आगे बढ़ रही है। लोकसभा सीटों के परिसीमन की तलवार लटक रही है। अचानक उठाया गया यह कदम संवैधानिक सिद्धांतों या लोकतांत्रिक अनिवार्यताओं से प्रेरित नहीं है बल्कि संकीर्ण राजनीतिक हितों से प्रेरित है।'
पिनराई विजयन ने कहा, 'अगर जनगणना के बाद परिसीमन किया जाता है तो उत्तरी राज्यों की सीटों में बढ़ोतरी होगी, जबकि दक्षिणी राज्यों की सीटों में कमी आएगी। दक्षिण के लिए सीटों में कटौती और उत्तर के लिए सीटों में बढ़ोतरी बीजेपी के लिए फायदेमंद होगी क्योंकि उत्तर में उसका प्रभाव अधिक है।'
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, 'बीजेपी जिन राज्यों में जीतती है वहां सीट बढ़ाना चाहती है और जहां हारती है वहां सीट कम करना चाहती है।'
यह भी पढ़ें: BJP सांसद ने क्यों दिलाई 1973 के परिसीमन की याद? पढ़ें क्या हुआ था
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा, 'दक्षिण भारत ने परिवार नियोजन की दिशा में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन उत्तर के बड़े राज्य इसमें विफल रहे। हम राष्ट्रीय राजस्व में अधिक योगदान देते हैं और हमें कम आवंटन मिलता है।'
मुख्यमंत्री स्टालिन चाहते क्या हैं?
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बैठक में कहा है कि परिसीमन पर राजनीतिक और कानूनी कार्ययोजना तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाए। उन्होंने समिति का नाम 'निष्पक्ष परिसीमन के लिए संयुक्त कार्रवाई समिति' रखने का प्रस्ताव रखा है। उनका कहना है कि वह राजनीतिक लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे, वहीं कानून का सहारा लेंगे। उन्होंने कहा है कि परिसीमन पर लोगों को जागरूक करना जरूरी है।

स्टालिन की चिंता क्या है?
एमके स्टालिन की चिंता है कि जनसंख्या के आधार पर अगर परिसीमन हुआ तो प्रगतिशील राज्यों में सीटें घट जाएंगी। उत्तर-दक्षिण में असामनता बढ़ जाएगी। उनका कहना है कि केंद्र के इस फैसले से कम से कम 8 सीटें कम हो जाएंगी। उन्होंने कहा है कि यह राज्यों के अस्तित्व से जुड़ा है, इसलिए सबको साथ आना चाहिए।
स्टालिन की बैठक में कौन-कौन पहुंचा?
विपक्षी एकता के इस प्रदर्शन में देश के 5 राज्यों के 14 नेता पहुंचे हैं। केरल, तेलंगाना और पंजाब के मुख्यमंत्री पहुंचे हैं। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, बीजेडी और भारत राष्ट्र समिति के भी प्रतिनिधि भी पहुंचे हैं।
यह भी पढ़ें: परिसीमन को लेकर अब नई तैयारी में स्टालिन, क्या है प्लान?
बीजेपी का रुख क्या है?
बीजेपी ने संयुक्त समिति की बैठक में एमके स्टालिन पर तमिलनाडु के मुद्दों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह मुद्दा खुद एमके स्टालिन बना रहे हैं। वह राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा कर रहे हैं। बीजेपी ने चेन्नई में काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन किया। स्टालिन पर कर्नाटक और केरल के साथ कावेरी और मुल्लापेरियार जल बंटवारे के विवादों को उलझाने का आरोप लगाया। बीजेपी नेता तमिलिसाई सुंदरराजन का दावा है कि यह बैठक भ्रष्टाचार के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए आयोजित की गई है।