महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस होंगे। महायुति में सीएम फेस को लेकर अटकलों का दौर थम गया है। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि महाराष्ट्र विधानसभा के नेता देवेंद्र फडणवीस होंगे। बीजेपी ने अपने कोर समिति की बैठक में यह तय कर लिया है कि 'आपले देवा भाई मुख्यमंत्री।' बीजेपी विधायक राहुल नार्वेकर ने यह पहले ही इशारा कर दिया था कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। 

गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी ने बुधवार को विधायक दल की बैठक के बाद कहा कि विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस ही चुने गए हैं। मुंबई के आजाद मैदान में ही उनका शपथ ग्रहण होगा।  राहुल नार्वेकर ने राहुल नार्वेकर ने ताज प्रीसिडेंट होटल के बाहर एक बोर्ड लगाया, जिसमें लिखा था, 'आपले देवा भाई मुख्यमंत्री।' मराठी में लिखे इस नारे का अर्थ है कि देवेंद्र फडवीस ही मुख्यमंत्री होंगे। इसी होटल के बाहर बीजेपी के केंद्रीय वर्यवेक्षक ठहरे हुए थे।

बीजेपी की कोर समिति ने पहले यह फैसला किया, फिर उनके नाम पर केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने ही मुहर लगा दी। देवेंद्र फडणवीस, मुख्यमंत्री पद की शपथ 5 दिसंबर को लेंगे। देवेंद्र फडणवीस के साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार, उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। बीजेपी के 132 और 7 अन्य समर्थक विधायकों ने यह तय किया कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री होंगे। जो जनादेश हमें मिला है, उस पर देश की नजर है। 

विधानभवन में देवेंद्र फडणवीस को अपार समर्थन
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को बीजेपी ने केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। विजय रुपाणी ने कहा कि विधायकों की इच्छा के अनुसार संसदीय दल के नेता चुने जाएंगे। बीजेपी नेता सुधीर मुनंगटीवार और चंद्रकांत पाटिल की ओर से पेश प्रस्ताव पर सीनियर नेताओं ने मुहर लगाई। आशीष शेलार और रवींद्र चव्हाण ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया। बीजेपी विधायक दल के प्रस्तावकों ने मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रस्ताव रखा है। बीजेपी नेता पंकजा मुंडे ने भी देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दिया। 

क्यों सीएम तय करने में हुई देरी?
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि चुनाव के नतीजों के दिन ही यह तय था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही बनेंगे। विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस के अलावा किसी और का नाम नहीं पेश किया गया। विधायक दल ने निर्विरोध उन्हें नेता चुना और उनका नाम तय होती है जमकर तालियां बजी। अब सवाल ये है कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री चुनने में क्यों इतनी देरी हुई? महाराष्ट्र बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सिर्फ कैबिनेट को लेकर कलह मची हुई थी। 



एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना की मांग ये थी कि उन्हे गृह मंत्रालय का पद दिया जाए, बीजेपी इसके लिए सहमति नहीं दे रही थी। सीनियर पत्रकार संदीप सोनवलकर ने खबरगांव से बातचीत में कहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी ही गृह मंत्रालय अपने पास रखती है, इसे देने के लिए बीजेपी तैयार नहीं थी। सीएम फेस पर कोई विवाद ही नहीं था, मंत्रालयों को लेकर विवाद था, जिसे महायुति ने सुलझा लिया है। 

देवेंद्र फडणवीस ही क्यों बने मुख्यमंत्री?
देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव लड़ा गया है। सीनियर पत्रकार मिलिंद खांडेकर बताते हैं कि साल 2014 में वे पहली बार मुख्यमंत्री चुने गए थे, जिसके बाद से उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई। साल 2019 में भी उनकी ही अगुवाई में चुनाव हुए लेकिन उद्धव ठाकरे की शिवसेना उस वक्त अड़ गई थी कि मुख्यमंत्री शिवसैनिक ही होगा। बीजेपी इसके लिए राजी नहीं हुई तो शिवसेना महाविकास अघाड़ी (MVA) में जाकर मिल गई। देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे से बातचीत की, उन्होंने शिवसेना का विभाजन कराया और एकनाथ शिंदे को एनडीए का हिस्सा बना लिया। वे खुद एकनाथ शिंदे के डिप्टी बने।

देवेंद्र फडणवीस को ही साल 2023 में अजित पवार को एनडीए में लाने का श्रेय दिया जाता है। मराठा समुदाय भी देवेंद्र फडणवीस को पसंद करता है। देवेंद्र फडणवीस लोकप्रिय नेता हैं, उनके खिलाफ कोई गुटबाजी नहीं है, इसलिए ही उनके नाम पर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और विधायक दल ने मुहर लगा दी। जो मौजूदा महायुति दिख रही है, महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से जिस गठबंधन को 235 सीटें मिलीं, उसे बनाने का श्रेय भी देवेंद्र फडणवीस को मिलता है।