लंबे इंतजार के बाद महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस कैबिनेट का विस्तार हो गया है। तमाम नाराजगियों के बाद अब महाराष्ट्र में कैबिनेट तय हो गई है। रविवार को नागपुर विधानसभा भवन में देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट में शामिल मंत्रियों ने शपथ ली।

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना के विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इस बीच खबर है कि शिंदे अपने मंत्रियों से शपथपत्र लेंगे कि वो ढाई साल बाद मंत्री पद छोड़ने को तैयार रहें ताकि अन्य दावेदारों के लिए जगह बनाई जा सके। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा कि शपथपत्र इसलिए लिए जा रहे हैं ताकि शिंदे चाहें तो आधिकारिक तौर पर उन्हें मंत्री पद से हटा सकें।

शिवसेना चीफ ने अपनाई खास नीति

शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी ने ‘काम करो या मरो’ की नीति अपनाई है और जो काम करेगा, वह मंत्री पद पर बना रहेगा। शिंदे के एक करीबी सहयोगी के मुताबिक, 'शिवसेना के विधायकों के पास न तो विचारधारा है और न ही एकनाथ शिंदे के प्रति वफादारी- उन्हें बस सत्ता चाहिए। हमें सत्ता का समान वितरण करना होगा।' शिंदे सत्ता को समान रूप से वितरित कर अपने विधायकों को साथ रखना चाहते हैं।

शिवसेना के तीन विधायक हटाए गए

बीजेपी और सीएम देवेंद्र फडणवीस के कहने पर हटाए गए शिवसेना के तीन विधायक- दीपक केसरकर, अब्दुल सत्तार और तानाजी सावंत- बहुत नाखुश बताए जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि संजय राठौड़ जो शिवसेना कोटे से मंत्री हैं, उनके खिलाफ कई शिकायतें थीं। इन सबके बावजूद उन्हें मंत्री परिषद में बरकरार रखा गया है। 

सूत्रों ने संकेत दिया है कि ऐसा देवेंद्र फडणवीस के साथ उनकी दोस्ती के कारण हुआ है। जब संजय राठौड़ को महाविकास अघाड़ी सरकार में विवादों के चलते हटा दिया गया था, तो उन पर बीजेपी की महिला शाखा ने हमला किया था, लेकिन उस समय विपक्ष में रहे फडणवीस ने उनके प्रति अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाया था। 

दीपक केसरकर क्या बोले?

उधर दीपक केसरकर ने स्थिति का सामना शांति से करते हुए कहा कि मुझे दो बार मंत्री बनने का मौका मिला और अब मैं क्षेत्र के लिए काम करूंगा। माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे उन्हें पार्टी में कोई अहम जिम्मेदारी दे सकते हैं। जबकि अब्दुल सत्तार और तानाजी सावंत फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं।