महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए एक हफ्ते हो चुके हैं। झारखंड चुनाव के नतीजे भी साथ आए थे और वहां हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर कार्यभार भी संभाल चुके हैं। महाराष्ट्र में अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। कार्यकारी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह जरूर कहा था कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी (BJP) का सीएम मंजूर होगा लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनके मन में कुछ और है। शुक्रवार को मुंबई में महायुति की बैठक होनी थी लेकिन एकनाथ शिंदे अचानक अपने गांव चले गए। अब एक नेता ने यह कहकर और सस्पेंस बढ़ा दिया है कि जब-जब एकनाथ शिंदे अपने गांव जाते हैं वह कुछ बड़ा फैसला लेते हैं। कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनने के लिए राजी नहीं हैं तो वह कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।

 

अब कहा जा रहा है कि जो बैठक टल गई थी अब वह रविवार को हो सकती है। इससे पहले एकनाथ शिंदे कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वह फैसला क्या हो सकता है। शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने इसको लेकर संकेत जरूर दिए हैं। उनका कहना है, 'जब भी एकनाथ शिंदे को किसी बड़े निर्णय पर विचार करना होता है तो वह अपने गांव जाते हैं। कल शाम (शनिवार शाम) तक वह एक बड़ा फैसला लेंगे।' दूसरी तरफ, बीजेपी नेताओं का कहना है कि वे केंद्रीय पर्यवेक्षकों का इंतजार कर रहे हैं और उनके आने पर ही विधायक दल की मीटिंग होगी।

कहां फंस रही है बात?

 

चर्चाओं के मुताबिक, एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनना ही नहीं चाहते हैं। दूसरी बात यह है कि अगर सीएम बीजेपी का बनना ही है तो एकनाथ शिंदे चाहते हैं कि शिवसेना को गृह विभाग जैसे कुछ बड़े मंत्रालय हैं। इसी को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच बात और फंस जा रही है। यह भी चर्चा है कि शिवसेना की नजर कुछ उन मंत्रालयों पर भी है जो पिछली सरकार में एनसीपी के खाते में थे। अगर वह एनसीपी के खाते वाले मंत्रालय मांगते हैं तो इससे अजित पवार नाखुश हो सकते हैं। कुल मिलाकर कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है जिसके चलते अब तक कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया है।

 

दिल्ली में अमित शाह के साथ मीटिंग के बाद यह लग रहा था कि अब बात बन जाएगी लेकिन एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर से दांव खेलकर मामले को और पेचीदा कर दिया है। शिवसेना के ही नेता यह भी कह रहे हैं कि एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम नहीं बनेंगे। शिवसेना के ही नेता कह रहे हैं कि वह केंद्र में मंत्री भी नहीं बनेंगे। ऐसे में सवाल यही है कि आखिर एकनाथ शिंद चाहते क्या हैं?

 

नाराजगी के सवालों पर शिवसेना नेता उदय सामंत का कहना है, 'वह नाराज नहीं हैं। दिल्ली में भी उन्हें बुखार और जुकाम था। यह कहना गलत होगा कि वह नाराज हैं। बीमार तो कोई भी हो सकता है। अगर वह कहीं गए हैं तो यह अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए कि वह नाराज हैं।'

 

खैर, सीटों की संख्या के हिसाब से अनुमान लगाया जाए तो एकनाथ शिंदे कोई बड़ा उलटफेर करने की स्थिति में तो नहीं हैं लेकिन भविष्य को देखते हुए इतना जरूर है कि वह अपने हर कार्ड को अच्छी तरह से खेलना चाहते हैं। यह बात एकनाथ शिंदे अच्छे से जानते हैं कि एक बार देवेंद्र फडणवीस की सरकार बन गई और वह अपने हिसाब से चलने लगी तो एकनाथ शिंदे ज्यादा कुछ करने की स्थिति में नहीं होंगे। यही वजह है कि वह अभी ही अपनी ताकत आजमाकर अपनी बातों को मनवा लेना चाहते हैं।