महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। जब से 23 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना हुई है तब से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि अगला सीएम कौन बनेगा? वजह भी है, बीजेपी को बड़ी जीत मिली है। बीजेपी ने 149 सीटों में से 132 सीटें जीत लीं। शिवसेना को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं।
फिर दौड़ शुरू हुई सीएम की। सवाल उठने लगे कि सीएम कौन बनेगा? बात उठने लगी की सीएम बीजेपी का होगा। फिर देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम पद के लिए सामने आने लगा।
कुछ दिन की खामोशी के बाद शिंदे ने कहा कि बीजेपी के मुख्यमंत्री से उन्हें कोई समस्या नहीं। अजित पवार ने भी इस बात के संकेत दिए कि बीजेपी के सीएम से उन्हें कोई समस्या नहीं।
बहरहाल उनकी तो अपनी वजहें थीं। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक अजित पवार जानते थे कि सीएम की रेस में वह तो हैं नहीं, ऐसे में उनके लिए यही ज्यादा ठीक होता कि बीजेपी का मुख्यमंत्री बने क्योंकि शिवसेना और एनसीपी दोनों महाराष्ट्र आधारित पार्टियां हैं ऐसे में अजित पवार क्यों चाहेंगे कि शिवसेना उनकी अगुवाई करे।
खैर, इसी बीच महाराष्ट्र के बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने घोषणा की कि 5 दिसंबर को सीएम पद की शपथ ली जाएगी और पीएम मोदी भी उसमें भाग लेंगे। सब कुछ तय समय पर हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को सेंट्रल ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है। 4 तारीख को बीजेपी के विधायक दल का नेता चुनेंगे।
इसी बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र का डिप्टी सीएम बनना स्वीकार कर लिया है। पहले कयास लगाए जा रहे थे उन्होंने अपनी पार्टी के लिए गृह मंत्रालय की मांग की है और कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का यह भी कहना था कि वह अपने बेटे श्रीकांत शिंदे के लिए डिप्टी सीएम का पद मांग सकते हैं। हालांकि, श्रीकांत शिंदे ने खुद इस बात का खंडन किया था।
कौन बनेगा सीएम
हालांकि, इस बात पर अभी तक कोई खुलासा नहीं हो पाया है कि सीएम कौन बनेगा? खास बात यह है कि शिवसेना ने अपने दल का नेता शिंदे को घोषित किया है, एनसीपी ने अपने दल का नेता अजित पवार को घोषित किया है, लेकिन बीजेपी की तरफ से ऐसा कुछ अभी तक जाहिर नहीं किया गया है कि उनकी तरफ से कौन होगा विधायक दल का नेता। इसका फैसला 4 दिसंबर को शपथ ग्रहण से एक दिन पहले लिया जाएगा।
इसके लिए पार्टी ने निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी को सेंट्रल ऑबज़र्वर नियुक्त किया है। कुछ राजनीतिक जानकार इस बात को लेकर भी संदेहास्पद हैं कि क्या बीजेपी फडणवीस को सीएम पद का चेहरा घोषित करेगी। क्योंकि, सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने बीजेपी नेता विनोद तावड़े से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है कि क्या फडणवीस को सीएम बनाए जाने से मराठा वोटर्स नाराज तो नहीं हो जाएंगे।
यह बात इसलिए भी संदेह पैदा करती है क्योंकि बीजेपी की तरफ से इस बात पर पूरी तरह से चुप्पी है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि फडणवीस को आरएसएस का समर्थन प्राप्त है।
किस बात की है खींचतान?
खबरों के मुताबिक शिवसेना और बीजेपी के बीच गृह मंत्रालय को लेकर खींचतान चल रही है। दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि शिवसेना चाह रही है कि अगर बीजेपी का सीएम बनता है तो गृह मंत्रालय उसके पास रहे, लेकिन इस बात पर सहमति नहीं बन पा रही है। क्योंकि बीजेपी ने गृह मंत्रालय को हमेशा अपने पास ही रखा है।
पिछले कार्यकाल में जब शिंदे मुख्यमंत्री थे तब भी गृह मंत्रालय उनके पास नहीं था बल्कि देवेंद्र फडणवीस के ही पास था। इसका सीधा सा अर्थ है कि बीजेपी किसी भी स्थिति में गृह मंत्रालय किसी और को देने को तैयार नहीं होगी।
शिंदे क्यों चाह रहे गृह मंत्रालय
ऐसा माना जाता है कि सीएम के बाद सबसे शक्तिशाली राज्य में गृहमंत्री ही होता है। महाराष्ट्र में जब महा विकास अघाड़ी की सरकार थी तब भी यह माना जा रहा था कि गृह मंत्रालय शिवसेना को मिलेगा और शिंदे को गृहमंत्री बनाया जाएगा लेकिन उस वक्त गृह मंत्रालय एनसीपी के खाते में चला गया था।
बीजेपी कितनी मजबूत
बीजेपी के पास इस वक्त 132 सीटें हैं जो कि मैजिकल नंबर से सिर्फ 13 कम हैं, इसलिए बीजेपी के लिए किसी के सामने झुकने का कोई बहुत बड़ा कारण नहीं है। बीजेपी किसी भी दशा में सरकार बनाने के लिए शिवसेना पर निर्भर नहीं है। बीजेपी और एनसीपी के मिलाकर ही कुल 173 हो जा रहे हैं जो कि बहुमत के आंकड़े से बहुत ज्यादा है।
फिर इस उधर जब से उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है, तब से यह भी कहा जाने लगा है कि उद्धव ठाकरे की नजदीकियां बीजेपी के साथ बढ़ सकती हैं। उद्धव ठाकरे के पास विधानसभा में 20 सीटें हैं।
शिंदे की तबीयत खराब क्यों?
चुनाव नतीजों के आने के बाद से ही दिल्ली में मीटिंग हुई उसके बाद शिंदे अचानक अपने गांव चले गए। बाद में खबर आई कि उनकी तबीयत खराब है। तब से लेकर लगातार ऐसी ही खबरें आ रही हैं। बीच में यह भी खबर आई कि वह 2 दिसंबर को मीटिंग करने वाले हैं लेकिन वह भी कैंसिल हो गई। उसके लिए भी तबीयत का ही हवाला दिया गया था। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक एक शिवसेना नेता का कहना था कि ऐसी कोई मीटिंग होनी ही नहीं थी। वह इस वक्त प्रशासनिक बैठकों में वर्चुअली भाग ले रहे हैं।