विजय देव: ठेठ भाषा में कहें तो असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ खेला कर दिया। खेला कुछ ऐसा हुआ कि हेमंत सोरेन के चुनावी प्रस्तावक 28 वर्षीय मंडल मुर्मू ने केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा के समक्ष भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सदस्यता ग्रहण कर ली। बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान  और हिमंता बिस्वा सरमा को झारखंड में चुनाव जीतने का जिम्मा दिया हुआ है।

 

साहेबगंज जिले के अंतर्गत बरहेट के भोगनाडीह गांव के निवासी मंडल मुर्मू संथाल विद्रोह (1855-56) के महानायक भाइयों सिदो मुर्मू और कानू मुर्मू के वंशज हैं और हेमंत सोरेन भी बरहेट विधानसभा से ही चुनाव लड़ रहे हैं। मंडल मुर्मू के साथ-साथ शहीद के कई वंशजों ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। मंडल मुर्मू के बीजेपी में जाने से चुनावी समीकरणों पर कितना फर्क पड़ता है यह समय ही बताएगा लेकिन बीजेपी ने माहौल बनाना शुरू कर दिया है कि आदिवासी समाज का हेमंत सोरेन और उनके पार्टी पर विश्वास नहीं रहा, यहाँ तक कि शहीदों के वंशजों और हेमंत सोरेन के प्रस्तावक तक ने जेएमएम से किनारा कर लिया है। 

फंस गई है JMM?

 

मंडल मुर्मू को लेकर जेएमएम के समक्ष आगे कुआँ पीछे खाई वाली स्थिति हो गई है। यह झारखण्ड है जहाँ की राजनीति आदिवासी महानायकों के नाम से शुरू होती है और उनके नमन पर खत्म होती है और ऐसे में जब मंडल मुर्मू बीजेपी के साथ आ गए हैं जेएमएम मंडल मुर्मू पर हमला करने और उन्हें मौकापरस्त तक कहने का जोखिम नहीं उठा सकती।

 

बरहेट के निवासी आनंद मुर्मू ने इस बारे में कहा, 'मंडल मुर्मू बरहेट के भोगनाडीह गांव का निवासी है। शहीद का वंशज होना उसका प्रमुख परिचय है । वह सामाजिक और स्थानीय कार्यक्रमों, खेलकूद में सक्रिय रहता है। सुना है कि ट्विटर, फेसबुक पर भी दिखता है। 0राज्य और दिल्ली स्तर के बहुत सारे नेताओं से उसके व्यक्तिगत परिचय हैं क्योंकि वह उन शहीदों का वंशज है जिन्होंने आदिवासी समाज को ब्रिटिशों के खिलाफ हूल (क्रांति) करने के लिए प्रेरित किया था।  

 

हर साल 30 जून को जब हूल दिवस मनाया जाता है तो झारखंड से लेकर देश के नेता सिदो और कानू की मूर्ति पर माल्यार्पण करने भोगनाडीह आते हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू पार्टी के प्रेसिडेंट सुदेश महतो ने उसे गोद लिया था। उसके भी कुछ राजनैतिक महत्वाकांक्षा होगी पर मुझे नहीं पता। मगर जिस तरीके से पिछले एक सप्ताह में राज्य से लेकर राष्ट्रीय मीडिया में उसको लेकर चर्चाएं छिड़ीं, बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं से लेकर जेएमएम तक ने उसके बारे में बयानबाजी की उससे वह पूरे राजनीति का केंद्र बन गया है।'

क्या मंडल मुर्मू हेमंत सोरेन के लिए कोई मुसीबत खड़ी कर सकते हैं? 

 

साहेबगंज के निवासी अंकुश कहते हैं, 'चींटी हाथी को नहीं मार सकता मगर यदि वह उसकी सूंड़ में घुस जाए तो परेशान कर देगा। राजनीति परसेप्शन, मैसेज और माहौल बनाने का खेल है।' मंडल मुर्मू को हेमंत सोरेन का प्रस्तावक बनाने के पीछे जेएमएम की यही राजनीति थी कि इसके सहारे मतदाताओं में मैसेज दिया जाए कि सिदो कानू के वंशजों से लेकर संथाल परगना का सम्पूर्ण आदिवासी समाज जेएमएम के साथ खड़ा है। वास्तव में हेमंत सोरेन बीजेपी की रणनीति से परेशान हैं जहाँ उन्हें आदिवासी समाज को जबाब देने में मुश्किलों का सामना करना पर रहा है। बीजेपी ने संथाल परगना के जिलों में आदिवासियों की घटती जनसंख्या, बांग्लादेशी घुसपैठ, आदिवासी जमीनों पर घुसपैठियों के कब्जे जैसे मामलों को चुनावी मुद्दा बना दिया है।'
 
यह जानते हुए भी कि बीजेपी बरहेट विधानसभा में कमजोर स्थिति में है हेमंत सोरेन ने सुरक्षात्मक घेराबंदी करने में कोई चूक नहीं की। बीजेपी ने पहले पूर्व मंत्री लुईस मरांडी को बरहेट का उम्मीदवार घोषित किया। मगर घोषणा होने के घंटे भर के अंदर लुईस मरांडी ने यह कहते हए पार्टी से इस्तीफा दे दिया कि पार्टी के अंदर कुछ लोग जानबूझकर उन्हें बरहेट से खड़ा करना चाहते हैं ताकि वह चुनाव हार जाएँ। अगले दिन लुइस मरांडी ने जेएमएम की सदस्यता ले ली और हेमंत सोरेन ने उन्हें जामा से टिकट दे दिया। यह वही लुइस मरांडी हैं जिन्होंने 2014 के विधानसभा चुनावों में हेमंत सोरेन को दुमका से हराया था।

 

JMM की टेंशन बन गए मंडल मुर्मू!

 

बीजेपी भले हेमंत सोरेन को हरा न सके मगर परेशान तो कर ही सकती है और बीजेपी ने मंडल मुर्मू के सहारे यह कर दिखाया है। दरअसल, हेमंत सोरेन ने जिस दिन बरहेट विधानसभा के लिए अपना पर्चा दाखिल किया था उसके कुछ दिनों के बाद ही मंडल मुर्मू को लेकर जेएमएम में शंका का माहौल बन गया। जेएमएम को यह आशंका होने लगी कि बीजेपी के लोग मंडल मुर्मू को पार्टी में शामिल करने की मुहिम में लगे हुए हैं और ऐसे में कहीं हेमंत सोरेन का नॉमिनेशन कहीं खतरे में न पड़ जाए। दूसरी आशंका यह भी थी कि कहीं बीजेपी मंडल मुर्मू को हेमंत सोरेन के विरुद्ध अपना प्रत्याशी न बना दे। एक चुनावी प्रस्तावक जो ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित शहीदों के परिवार से आता हो अगर वह प्रतिद्वंद्वी बन जाए तो यह झारखंड में चुनावी राजनीति में बीजेपी का सबसे चौंकाने वाला कदम होता, जो हेमंत सोरेन और झारखंड में उनके नेतृत्व वाले इण्डी (INDI) गठबंधन को मुश्किल में डाल सकता था।
 
बीते सप्ताह जब मंडल मुर्मू, बीजेपी युवा मोर्चा के दो नेताओं के साथ रांची आ रहे थे तो पुलिस ने गिरिडीह जिले में नाकाबंदी कर उन्हें नजरबंद कर दिया। जेएमएम और बीजेपी के नेता एक साथ हरकत में आए। जेएमएम ने बाकायदा आरोप लगाया कि बीजेपी के लोग मुख्यमंत्री के प्रस्तावक के अपहरण की कोशिश कर रहे थे। बीजेपी ने भी राज्य पुलिस पर मंडल मुर्मू को अवैध रूप से निरुद्ध करने का आरोप लगाया। चुनाव आयोग द्वारा फटकार लगाने के बाद पुलिस ने मंडल मुर्मू को जाने दिया। मंडल मुर्मू ने कहा कि बीजेपी के कुछ नेताओं से स्थानीय विषय पर विमर्श करने के लिए वह अपनी मर्जी से राँची जा रहे थे। फिलहाल, हिमंता बिस्वा सरमा ने मंडल मुर्मू के रूप में हेमंत सोरेन को एक सिरदर्द दे दिया है।