विपक्षी इंडिया गठबंधन राज्यसभा में सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अनुच्छेद 67(बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने का विचार कर रही है। इस प्रस्ताव पर पहले से ही अलग-अलग पार्टियों के 70 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं।


यह कदम दिखाता है कि विपक्षी नेताओं में धनखड़ द्वारा राज्यसभा में कार्यवाही के संचालन को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। कांग्रेस के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (एसपी) और इंडिया ब्लॉक के अन्य घटकों ने भी कथित तौर पर इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया है।

 

इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने अक्सर राज्यसभा के सभापति पर उच्च सदन में सत्तारूढ़ सदस्यों के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने उन पर अक्सर उनके भाषणों में बाधा डालने, महत्वपूर्ण मुद्दों पर पर्याप्त बहस की अनुमति न देने और विवादास्पद चर्चाओं के दौरान सत्तारूढ़ दल का पक्ष लेने का आरोप लगाया है।

 

इस साल की शुरुआत में ऐसी खबरें सामने आईं कि विपक्ष राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा है।

 

संसद के बजट सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में अपने विचार व्यक्त करने के लिए आवंटित स्थान और समय में कमी पर चिंता जताई।

'बंद किया जाता है माइक्रोफोन'

उन्होंने तर्क दिया कि संसदीय परंपरा के अनुसार विपक्ष के नेता को बोलने के लिए मंच दिया जाना चाहिए। विवाद का एक प्रमुख मुद्दा कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषणों में बार-बार व्यवधान डालना था, जिसमें कथित तौर पर कई मौकों पर उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया जाता था।

 

विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर सदस्यों के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी करने का भी आरोप लगाया, जिसे उन्होंने संसदीय नियमों का उल्लंघन बताया।

नियम 238(2) का दिया हवाला

राज्यसभा के नियम 238(2) का हवाला देते हुए, जो सदस्यों को बोलते समय दूसरों के खिलाफ व्यक्तिगत आरोप लगाने से स्पष्ट रूप से रोकता है, विपक्षी सांसदों ने बताया कि यह नियम सभापति पर भी लागू होता है।

 

आरोपों के कारण सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। सभापति जगदीप धनखड़ ने हस्तक्षेप करते हुए सदस्यों से स्थिति की गंभीरता पर विचार करने का आग्रह किया।

 

धनखड़ ने अपनी टिप्पणी में भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए बाहरी और आंतरिक ताकतों द्वारा उत्पन्न खतरे पर चिंता व्यक्त की। सदन में दोनों पक्षों के बीच गंभीर आरोपों को लेकर टकराव के कारण व्यवधान जारी रहा, जिसके कारण पूरे दिन कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

क्या है हटाने की प्रक्रिया

राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों के द्वारा एक प्रस्ताव किया जाना होता है। इस प्रस्ताव को राज्यसभा सचिवालय भेजना होता है फिर सदन में मौजूद कुल सदस्यों के बहुमत से इसे पारित करना होता है। राज्यसभा में पारित होने के बाद इसे लोकसभा में भेजना होता है जहां से इसे पारित कराना जरूरी होता है। यह बात भी गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक ही चलना है तो ऐसे में यह प्रक्रिया तब तक ही पूरी करनी होगी।

क्या है अनुच्छदे 67 (बी)

संविधान का अनुच्छेद 67 (बी)राज्यसभा में जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगा विपक्षराज्यसभा में जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगा विपक्ष कहता है कि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के कुल सदस्यों के बहुमत के द्वारा पारित रिजोल्यूशन के जरिए हटाया जा सकता है। लेकिन रिजोल्यूशन को लाने के 14 दिन पहले इस बात का नोटिस देना होगा।

क्या पहले हुआ है ऐसा

राज्यसभा के सभापति के विरुद्ध पहले कभी भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया है। हालांकि, साल 2020 में राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।