कर्नाटक कांग्रेस में एक बार फिर कलह मची है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार गुट में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए गुटबाजी की खबरें सामने आ रहीं हैं। अब सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों के बीच 'पावर ऑफ वर्ड्स' को लेकर जुबानी जंग भी छिड़ गई है। सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच चल रही खींचतान पर बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक बैठकें बुलाई जा चुकी हैं। 

डीके शिवकुमार जहां, 'वर्ड पावर इज वर्ल्ड पावर डीके' का नारा दे रहे हैं, वहीं सिद्धारमैया 'वर्ड टू कर्नाटका इस नॉट ए स्लोगन, इट मींस द वर्ल्ड टू अस' पर जोर दे रहे हैं। दोनों सहयोगियों के बीच शब्दों पर जंग छिड़ी है। कांग्रेस का इतिहास ऐसा रहा है, जब-जब पार्टी में इस तरह की कलह सामने आती है, पार्टी बिखरती है। 

कर्नाटक कांग्रेस में घमासान की वजह क्या है?

कर्नाटक कांग्रेस में मची कलह की एक वजह, कांग्रेस आलाकमान का दोनों नेताओं से किया गया वादा बताया जा रहा है। ऐसी अटकलें हैं कि साल 2023 चुनाव जीत के बाद सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच अनौपचारिक 'ढाई-ढाई साल का सत्ता बंटवारा' समझौता आगे नहीं बढ़ पाया, इसलिए नाराजगी है। 20 नवंबर 2025 को सरकार के आधे कार्यकाल पूरे होने पर शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश की तो अनबन बढ़ गया। सिद्धारमैया बार-बार दोहरा रहे हैं कि वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। शिवकुमार समर्थक विधायक दिल्ली तक दस्तक दे चुके हैं। वे हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं कि सीएम डीके शिवकुमार बनें। सिद्धारमैया ने उपलब्धियों का हवाला दिया है और कहा है कि सत्ता उनकी ही रहेगी। राहुल गांधी की चुप्पी भी कलह को बढ़ा रही है। 

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कलह से कब-कब राज्यों में हुआ कांग्रेस को घाटा?

  • मध्य प्रदेश: 2020 से अब तक, कांग्रेस ने कई राज्यों में कलह की वजह से सत्ता गंवाई है। साल 2018 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए थे। कांग्रेस पार्टी बहुमत से सत्ता में आई। शिवराज सिंह चौहान की विदाई हो गई थी। विधानसभा चुनावों में जीत के तत्काल बाद ही अनबन शुरू हो गई। दो चेहरों में लड़ाई थी। कमनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया। दोनों सीएम पद के प्रबल दावेदार थे।  कई दिनों की बैठक के बाद यह तय हुआ कि सीएम कमलनाथ ही बनेंगे। सिंधिया माने लेकिन महज 18 महीने बाद ही सत्ता के लिए संघर्ष की शुरुआत हो गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी। कमलनाथ की सरकार गिर गई। वह बीजेपी में शामिल हो गए। करीब 2 दशक बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई थी, बहुमत भी था पार्टी के साथ लेकिन पार्टी टूट गई, एक बार फिर राज्य में कांग्रेस हाशिए पर है। 

  • राजस्थान: यहां हर 5 साल में सरकार बदल जाने की रिवाज रहा है। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस राजस्थान में मजबूत स्थिति में आ गई। राजस्थान में तीसरी बार अशोक गहलोत सरकार बनी थी। जीत के दो हीरो थे, अशोक गहलोत और सचिन पायलट। चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद कई दिनों तक सीएम पद को लेकर माथा-पच्ची हुई। कांग्रेस आलाकमान ने तय किया कि अशोक गहलोत ही सीएम होंगे। वह सीएम बने, सचिन पायलट डिप्टी सीएम बने। सीएम बनने के कुछ दिनों बाद ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत में अनबन शुरू हुई। साल 2020 में तो यहां तक नौबत आ गई थी कि सचिन पायलट 20 विधायकों को लेकर मानेसर चले गए थे। सरकार गिराने की बात तक कही गई। कलह अब तक जारी है। 2023 में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से सरकार बना ली।  कांग्रेस 199 सीटों पर लड़ी, लेकिन मात्र 69 जीती, सत्ता गई। भजन लाला शर्मा राजस्थान के सीएम हैं। 

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  • पंजाब: साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव हुए थे। तब कैप्टन अमरिंदर को कांग्रेस ने एक बार फिर सीएम बनाया। कांग्रेस में खूब गुटबाजी शुरू हुई। नवजोत सिंह सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे, अमरिंदर से उनकी कभी नहीं जमी। 2019 से लेकर 2021 तक खूब सियासी जंग हुई। 2017 में कैप्टन मुख्यमंत्री बने तो लेकिन सिद्धू डिप्टी सीएम बनने से चूक गए। साल 2019 बरगाड़ी गोलीकांड और ड्रग रैकेट की जांच रिपोर्टों पर सिद्धू ने कैप्टन पर हमले तेज कर दिए। कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू को समर्थन दिया। आखिरकार जुलाई 2021 में कैप्टन को इस्तीफा देना पड़ा, चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बने और सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष। कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़े। 2022 में चुनाव हुए थे कांग्रेस की सत्ता से विदाई हो गई, आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। तब से लेकर अब तक, पंजाब में कांग्रेस दिशाहीन स्थिति में है। 

  • छत्तीसगढ़: भूपेश बघेल साल 2018 में सीएम रहे। 2023 के विधानसभा चुनावों के आने तक भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच अनबन की खबरें सार्वजनिक हो गईं। टिकट बंटवारे को लेकर भी कलह मची। 2018 के चुनाव में बहुमत से सत्ता में आई कांग्रेस 35 सीटों पर समिट गई। अब वहां बीजेपी की सरकार है। 

  • हरियाणा: साल 2014 के बाद से कांग्रेस हरियाणा में कभी सत्ता में नहीं आई। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला की आपसी खींचतान में कांग्रेस में बिखराव हुआ, बीजेपी संगठित होती चली गई। साल 2014 से ही बीजेपी वहां सत्ता में है। 

अब कर्नाटक में क्या हो सकता है?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भरोसा है कि 1 दिसंबर से पहले कर्नाटक में एक आम सहमति बना ली जाएगी। डीके शिवकुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस आलाकमान बैठक में सारे मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे। कर्नाटक में डीके शिवकुमार समर्थक विधायक चाहते हैं कि राज्य की कमान अब डीके शिवकुमार संभाले। एक कार्यकाल में 2 सीएम का सियासी वादा था, जिसके पूरा न होने पर अब सियासी रार मची है।