महाराष्ट्र का छत्रपति संभाजीनगर शिवसेना का गढ़ माना जाता है। यही वजह है कि सत्ताधारी महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी की ओर से शिवसेना और शिवसेना (UBT) ही यहां की ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इसी बीच शिवसेना (UBT) को तगड़ा झटका लगा है। इस सीट से शिवसेना (UBT) के घोषित उम्मीदवार किशनचंद तनवानी ने चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया है। किशनचंद तनवानी ने इसके पीछे 2014 का जिक्र करते हुए कहा है कि वह नहीं चाहते कि इस बार भी 2014 जैसा ही हो इसलिए वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

 

यह पूरा मामला औरंगाबाद सेंट्रल विधानसभा सीट का है। इस सीट से शिवसेना के प्रदीप जायसवाल विधायक हैं। प्रदीप जायसवाल ही 2009 में भी यहां से विधायक बने थे और यह सीट भी 2008 के परिसीमन में बनी थी। यानी 2009 और 2019 में प्रदीप जायसवाल जीते लेकिन 2014 के परिणाम अलग थे। किशनचंद तनवानी उसी घटना का जिक्र करते हुए चुनावी मैदान से हट गए थे। आइए जानते हैं कि 2014 में ऐसा क्या हुआ था।

क्या है किशनचंद तनवानी का प्रदीप जायसवाल कनेक्शन?

 

दरअसल, किशनचंद और प्रदीप जायसवाल दोनों ही शिवसेना के पुराने नेताओं में से रहे हैं। 2014 में जब शिवसेना और बीजेपी अलग-अलग चुनाव लड़ीं तब किशनचंद तनवानी बीजेपी के उम्मीदवार थे। प्रदीप जायसवाल शिवसेना के टिकट पर चुनाव मैदान में थे। नतीजे आए तो कुछ ऐसा हुआ जिससे दोनों हैरान रह गए। इस चुनाव में किशनचंद को 40 हजार और प्रदीप जायसवाल को 41 हजार वोट मिले। AIMIM के इम्तियाज जलील सैयद 61 हजार वोट पाकर विजेता बन गए।

 

2019 में शिवेसना-बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा तो AIMIM के नसीर सिद्दीकी हार गए। अब 2024 में फिर से मामला 2014 वाला ही हो रहा था। शिवसेना ने मौजूदा विधायक प्रदीप जायसवाल को उतारा, AIMIM ने नसीर सिद्दीकी को उतारा है। वहीं, अब तक शिवसेना (UBT) के उम्मीदवार रहे किशनचंद तनवानी चुनाव से हट गए हैं।

 

हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी की गुटबाजी के चलते तनवानी को हार का डर था इसलिए वह चुनाव से हट रहे हैं। उम्मीदवारी से हटने के साथ ही तनवानी ने यह भी कहा है कि शिवसेना (UBT) जिस किसी को टिकट देगी वह उसका समर्थन करेंगे।