महाराष्ट्र में महायुति के लिए बहुमत का आंकड़ा पार करना आसान था, असली अग्नि परीक्षा सरकार गठन को लेकर है। शिवसेना गृह मंत्रालय चाहती है, बीजेपी इसे अपने पास रखना चाहती है। अगर गृह मंत्रालय नहीं मिलता है तो वित्त मंत्रालय की मांग भी शिवसेना के नेता कर रहे हैं, जिस पर पहले ही नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) ने अपना दावा ठोका है। सूत्रों के मुताबिक दोनों सहयोगी दलों के बीच एक आम सहमति पर लाने की कोशिश भारतीय जनता पार्टी (BJP) कर रही है लेकिन यह रास आसान नहीं है।
महाराष्ट्र में 235 का आंकड़ा पार करने के बाद अब लड़ाई मुख्यमंत्री पद की है। यह सस्पेंस भी जल्द खत्म हो जाएगा, क्योंकि महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कई दिनों की बीमारी के बाद अब ठीक हो रहे हैं। शिवसेना विधायकों के साथ वे मंगलवार को एक अहम बैठक करने वाले हैं, सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में गृह विभाग का फैसला हो जाएगा। इसके साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा।
गृह विभाग पर क्यों अड़े हैं शिंदे?
महाराष्ट्र की राजनीति में गृह विभाग इसलिए अहम है क्योंकि पुलिस एक बड़ा महकमा है, महाराष्ट्र पुलिस को चलाने वाला ही यहां मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा। एकनाथ शिंदे की इसी बैठक पर सबकी नजरें टिकी हैं। सरकार गठन को लेकर शिवसेना क्या चाहती है, इस पर विधायक दल का मंथन होगा। बीजेपी के विधायक दल की बैठक 4 नवंबर को होगी। बैठकों से पहले ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि असली लड़ाई, मुख्यमंत्री पद को लेकर है ही नहीं, लड़ाई गृह मंत्रालय की है।
सरकार में किसकी क्या हो सकती है भूमिका?
महाराष्ट्र की राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार संदीप सोनवलकर बताते हैं भारतीय जनता पार्टी (BJP) ओर से यह तय है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस होंगे। बीजेपी 132 सीटें जीतकर पहुंची है, वह अपने लिए गृह विभाग चाहती है। मुख्यमंत्री भी बीजेपी का होगा, गृह विभाग भी। एकनाथ शिंदे गुट बीजेपी की इस रणनीति से खुश नहीं है। उनकी सारी नाराजगी ही इसी बात की है कि गृह मंत्रालय शिवसेना को मिले। वहीं ऐसी अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि अजित पवार को वित्त मंत्रालय मिल सकता है। उनकी भूमिका में ज्यादा बदलाव नहीं होने जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में यह प्लान तैयार हो चुका है कि किसे कौन सा मंत्रालय दिया जाएगा। शिवसेना को अगर गृह मंत्रालय नहीं मिलता है तो इसके एवज में एकनाथ शिंदे के जीते हुए विधायकों को कुछ अहम पद सौंपे जा सकते हैं। गृह मंत्रालय देने के लिए बीजेपी तैयार नहीं है।
जब साल 2022 में एकनाथ शिंदे शिवसेना को लेकर इंडिया गठबंधन से अलग हुए थे और महायुति सरकार की सरकार बनाई थी, तब भी बीजेपी ने गृहमंत्रालय अपने पास रखा था। वे मुख्यमंत्री थे लेकिन गृह मंत्रालय उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस के पास ही था। अब बीजेपी के पास मजबूत संख्या बल है, इसलिए वे इस पद को साझा करने के लिए और भी तैयार नहीं हैं।
क्या होम से जाएगा सीएम हाउस का रास्ता?
इस सवाल का जवाब है हां। सीनियर पत्रकार संदीप सोनवलकर बताते हैं कि गृह मंत्रालय महाराष्ट्र की सियासत में बेहद अहम है। यह सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, किसी भी राज्य सरकार के लिए बेहद अहम है। ज्यादातर मुख्यमंत्री गृह मंत्रालय अपने पास ही रखते हैं। वजह यह है कि पुलिस से लेकर प्रशासन तक का सीधा कंट्रोल गृह विभाग के पास ही होता है।
राज्य गृह मंत्रालय के पास राज्य पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के पास होती है। अधिकारियों के पोस्टिंग और नियुक्ति की राह भी गृह मंत्रालय से होकर गुजरती है। ऐसे में इतने अहम मंत्रालय को कोई खोना नहीं चाहेगा। यह रसूख वाला मंत्रालय है, सबसे बड़े दल ही गृह मंत्रालय की मांग करते हैं।
सीनियर प्रकार संदीप सोनवलकर बताते हैं कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं। वे सरकार में नंबर 2 की भूमिका के लिए राजी हुए हैं इसलिए वे गृह मंत्रालय मांग रहे हैं। सरकार में नंबर 2 की कुर्सी बेहद अहम होती है। साल 2019 में जब मोदी सरकार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से आई तो यह मंत्रालय अमित शाह ने अपने पास रखा। वे पार्टी में नंबर 1 और सरकार में दूसरे नंबर पर थे। साल 2024 के चुनावी नतीजे सामने आए तो जनता दल यूनाइटेड (JDU) और तेलगू देशम पार्टी (TDP) की ओर से गृह मंत्रालय की दावेदारी पेश की गई।
बीजेपी यह पद देने के लिए तैयार नहीं हुई। महाराष्ट्र में भी यही हो रहा है। सारी खींचतान इसी वजह से मची है कि गृह मंत्रालय किसके खाते में जाएगा। अगर गृह मंत्रालय तय हो जाए तो यह भी तय हो जाएगा कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा। मुख्यमंत्री पद का रास्ता, गृह मंत्रालय से गुजर रहा है।
गृह मंत्रालय के बदले शिंदे को क्या मिलेगा?
महाराष्ट्र की सियासत पर नजर रखने वाले सीनियर पत्रकार मिलिंद खांडेकर बताते हैं कि बीजेपी का शीर्ष नेतृ्त्व ही तय कर सकता है कि विभाग किसे मिलेगा। अजित पवार गुट साफ कह चुका है कि उसे वित्त मंत्रालय चाहिए। बीजेपी इसके लिए औपचारिक सहमति दे चुकी है। पेच सिर्फ गृह मंत्रालय पर फंसा है। ऐसा हो सकता है कि अगर शिवसेना को गृह और वित्त न मिले तो राजस्व और शहरी विकास मंत्रालय शिंदे मांगें। इस पर भी फैसला बीजेपी आलाकमान को ही लेना है।
विभागों के बंटवारे पर अटकलें क्या हैं?
कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री बीजेपी से होगा, एकनाथ शिंदे और अजित पवार डिप्टी सीएम बनेंगे। बीजेपी अपने पास 20 से 21 मंत्रालय रखेगी, वहीं शिवसेना 11 से 12 मंत्रियों को मांग सकती है। एनसीपी को 10 मंत्री मिलेंगे। एकनाथ शिंदे का खेमा गृह मंत्रालय मांग रहा है, जिसकी वजह से सारी खींचतान मची हुई है।