पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बांग्लादेश के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी से यूएन को हस्तक्षेप करने के लिए मांग करने को कहा है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय शांति मिशन भेजने का प्रस्ताव रखा ताकि बांग्लादेश में शांति बहाल किया जा सके।

 

इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी से अपील की कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करके जिससे बांग्लादेश में अत्याचार किए जा रहे भारतीयों को बचाया जा सके।

 

पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा, अगर बांग्लादेश में इस तरह की चीजें चलती रहीं तो हम हमारे लोगों को वापस लेने के लिए तैयार हैं। हम आधी रोटी खाकर रहेंगे, लेकिन उन्हें खाने-पीने की कोई कमी नहीं होने देंगे।  आगे उन्होंने कहा, 'मैं आश्वासन देती हूं कि उन्हें खाने-पीने की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।'

 

'मैं हस्तक्षेप नहीं करूंगी'

ममता बनर्जी ने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें मैं हस्तक्षेप नहीं करूंगी, क्योंकि यह केंद्र सरकार के अधीन आता है। हमारी नीति स्पष्ट है। हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे क्योंकि यह केंद्र सरकार का मामला है।

 

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले 79 मछुवारे बांग्लादेश के जलक्षेत्र में चले गए थे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिसकी सूचना भारत सरकार को दे दी गई।वैसे ही अगर बांग्लादेश का जहाज यहां फंस जाता है तो हम मदद करते हैं। हमारे देश के तमाम रिश्तेदार भी उधर बांग्लादेश में रह रहे हैं।

बीजेपी ने किया पलटवार

हालांकि, बीजेपी ने इस पर पलटवार किया। अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट किया, 'अगर ज़रूरत पड़ी तो हम बांग्लादेश में निशाना बनाए जा रहे भारतीयों को बचा लेंगे। हमें अपने 'एक रोटी' उनके साथ बांटने में कोई दिक्कत नहीं है। उनके लिए खाने की कोई दिक्कत नहीं होगी।

 

उन्होंने आगे लिखा, 'कि वह हिन्दू शब्द का प्रयोग नहीं करती हैं।'

 

बांग्लादेश में हिंसा जारी

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को अपदस्थ किए जाने के बाद से ही हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। कुछ दिन पहले हिंदू साधु और इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास की राजद्रोह के मामेल में गिरफ्तारी हुई थी। उसके बाद हाल ही में दो अन्य हिंदू साधुओं को गिरफ्तार कर लिया गया है।

 

चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में दंगे हुए थे जिसमें एक वकील की मौत हो गई थी। विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश में इस्कॉन पर भी बैन लगाने की मांग उठने लगी थी, लेकिन बांग्लादेशी हाईकोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।