बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार देश के उन नेताओं में शुमार किए जाते हैं, जो वंशवाद की राजनीति के घोर विरोधी हैं। वह वंशवाद की राजनीति को लेकर अपने विरोधियों पर बार-बार निशाना साधते रहे हैं। सीएम नीतीश खासतौर से अपने राजनीतिक विरोधी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर वंशवाद की राजनीति करने को लेकर हमलावर रहे हैं। 

 

बिहार के मुख्यमंत्री के बेटे हैं निशांत कुमार। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नीतीश कुमार खुद अपने बेटे को अपनी पार्टी  जेडीयू में शामिल कर सकते हैं। रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि निशांत कुमार होली के बाद राजनीतिक पदार्पण कर सकते हैं।

 

नीतीश से हरी झंडी मिलने की देर

 

इंडियन एक्सप्रेस ने जेडीयू के सूत्रों के हवाले से बताया, 'ऐसा लगता है कि निशांत कुमार राजनीति में आने के लिए तैयार हैं। बस नीतीश कुमार से हरी झंडी मिलने की देर है।' रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीतीश कुमार को पार्टी कार्यकर्ताओं की तरफ से निशांत कुमार के राजनीति में आने की मांग से अवगत करा दिया गया है। होली के बाद निशांत को जेडीयू में शामिल किया जा सकता है।

 

जेडीयू ने दिए थे संकेत

 

पिछले साल जून 2024 की बात है। जेडीयू के प्रदेश महासचिव प्रम हंस कुमार ने कहा था, 'समय और परिस्थिति की मांग है कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार पार्टी और राज्य के कल्याण के लिए आगे आएं... नीतीश कुमार परिवारवाद का विरोध करते हैं लेकिन अगर एक साफ-सुथरी छवि वाले नेता का बेटा ईमानदारी से देश और राज्य की सेवा करना चाहता है, तो इसमें क्या गलत है? निशांत कुमार को कोई लालच नहीं है। उन्हें निश्चित रूप से राजनीति में आना चाहिए।'

 

पिता के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए थे निशांत

 

वहीं, साल 2025 की शुरुआत में ही यानी जनवरी में निशांत कुमार अपने पिता नीतीश कुमार के साथ बख्तियारपुर में स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं का अनावरण करने गए थे। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए निशांत कुमार ने जनता से बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपने पिता को वोट देने की अपील की थी।

 

इस दौरान निशांत ने कहा, 'हो सकेगा तो पिताजी को, उनकी पार्टी को आप सब जनता वोट करें, फिर से लाएं।' हालांकि, जनवरी 2024 में निशांत कुमार ने राजनीति में शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है और इसके बजाय उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का विकल्प चुना है।