इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के नेता और हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला अब इस दुनिया में नहीं है। यह वही ओम प्रकाश चौटाला थे जिन्होंने कुछ महीने पहले ही कहा था कि वह 115 साल जिंदा रहने वाले हैं। अपने राजनीतिक करियर में ओम प्रकाश चौटाला कई विवादों की वजह से आजीवन चर्चा में रहे। जीवन के आखिरी कुछ सालों में भी वह बार-बार जेल जाते रहे। अपनी ही आंखों के सामने उन्हें अपना परिवार बिखरते देखना पड़ा और कभी हरियाणा की सत्ता पर काबिज रहने वाला चौटाला परिवार अपना वजूद बचाने तक के लिए तरस गया। ओम प्रकाश चौटाला गिनती में भले ही 5 बार हरियाणा के सीएम रहे लेकिन अपना कार्यकाल वह सिर्फ एक ही बार पूरा कर पाए। 

 

शिक्षक भर्ती घोटाला उनके जीवन का एक ऐसा केस साबित हुआ जिसने न सिर्फ उनके करियर को लगभग खत्म कर दिया बल्कि चौटाला परिवार को भी फिर से पनपने नहीं दिया। हरियाणा के पूर्व सीएम चौधरी देवी लाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला के बारे में उनके परिवार के लोग दावा करते हैं कि उन्होंने राजनीतिक साजिशों के तहत फंसाया गया। बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग, शिक्षक भर्ती घोटाला और आय से अधिक संपत्ति जैसे मामलों में ओम प्रकाश चौटाला की जिंदगी के कई साल जेल में ही बीत गए। आइए जानते हैं कि ओम प्रकाश चौटाला की कहानी क्या है?

कैसा रहा राजनीतिक करियर?

 

1935 में जन्मे ओम प्रकाश चौटाला जब तक जवान होते तब तक उनके पिता देवी लाल राजनीति के बड़े चेहरे थे। 1968 में उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत एक हार से होती है। अपने परिवार की पारंपरिक ऐलनाबाद सीट से उतरे ओम प्रकाश चौटाला विशाल हरियाणा पार्टी के लालचंद खोड़ से अपना पहला ही चुनाव हार गए। हालांकि, एक रोचक बात यह रही कि चौटाला ने चुनाव में गड़बड़ी का केस दर्ज कराया और हाई कोर्ट ने लालचंद खोड़ की सदस्यता ही खारिज कर दी। 1970 में ऐलनाबाद में उपचुनाव हुए तो ओम प्रकाश चौटाला ने जीत हासिल की और विधायक बन गए।

 

राजनीति की शुरुआत से ही चर्चा में रहने वाले ओम प्रकाश चौटाला चौधरी देवी लाल के बेटे होने की वजह से नजर में रहते थे। 1978 में बैंकॉक से भारत लौटते ही उन्हें एयरपोर्ट पर रोक लिया गया। आरोप लगे कि उनके पास 4 दर्जन घड़ियां और दो दर्जन महंगे पेन मिले हैं। प्रतिष्ठित देवीलाल के बेटे पर तस्करी के आरोप लगे थे। देवीलाल को इसकी खबर मिली तो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कह दिया, 'ओम प्रकाश के लिए मेरे घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं।' हालांकि, बाद में जांच हुई तो ओम प्रकाश निर्दोष साबित हुए और देवीलाल ने भी अपने बेटे को माफ भी कर दिया।

 

जब देवीलाल केंद्र की राजनीति में गए और प्रधानमंत्री बनने के लिए अपना दावा ठोंकने लगे तो उन्हें उन्हीं ओम प्रकास को हरियाणा का सीएम बना दिया जिससे कभी सारे रिश्ते तोड़ लिए। हरियाणा में अगले 5 साल जमकर उठापटक चली। दरअसल, 1989 में पहली बार सीएम बने ओम प्रकाश चौटाला तब राज्यसभा के सदस्य थे। महम सीट से विधानसभा चुनाव में उतरे तो खाप पंचायतों ने ही विरोध कर दिया। खाप ने ओपी चौटाला के खिलाफ आनंद सिंह दांगी को चुनाव लड़वा दिया। इस चुनाव की एक अलग ही कहानी है। यह मामला इतना आगे बढ़ा कि 5 महीने बाद ही ओम प्रकाश चौटाला को सीएम पद छोड़ना पड़ा। 

 

बार-बार छोड़ना पड़ा पद

 

51 दिन के लिए बनारसी दास गुप्ता सीएम बने लेकिन दड़बा से चुनाव जीतकर आए ओम प्रकाश चौटाला फिर से सीएम बन गए। इस बार 5 दिन में ही सरकार गिर गई। लगभग 8 महीने तक हुकुम सिंह सीएम रहे लेकिन इस विधानसभा का कार्यकाल खत्म होते-होते ओम प्रकाश चौटाला एक बार फिर से सीएम बने लेकिन यह सरकार भी 15 दिन में ही गिर गई। 1991 में सत्ता से बाहर हुए ओम प्रकाश चौटाला को सत्ता में लौटने में 8 साल लग गए।

 

1999 में बंसीलाल की सरकार गिरते ही ओम प्रकाश चौटाला सक्रिय हुए और जोड़तोड़ करके सरकार बना ली। अब ओम प्रकाश चौटाला चौथी बार सीएम बने थे। इस बार उनकी राजनीतिक जमकर चमकी और अपनी अगुवाई में वह आईएनएलडी और बीजेपी के गठबंधन को चुनाव जिताने में कामयाब रहे। हालांकि, यही उनका पहला पूर्ण कार्यकाल और अंतिम कार्यकाल भी साबित हुआ।

 

1999 से 2000 के बीच 18 जिलों में जेबीटी घोटाला सामने आया। 2003 में CBI ने जांच शुरू की तो इस केस में ओम प्रकाश चौटाला के साथ-साथ उनके बेटे अजय चौटाला, राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह समेत दर्जनों अन्य लोगों के नाम सामने आए। इस केस में ओम प्रकाश चौटाला के अलावा उनके बेटे अजय चौाला को भी 10 साल की सजा हुई।

10 साल की सजा

 

साल 2012 में हरियाणा के जेबीटी घोटाले में सजा सुनाई गई। इस केस में ओम प्रकाश चौटाला भी दोषी पाए गए थे। उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई। आरोप था कि हरियाणा में 3206 शिक्षकों की भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। इसी केस में ओ पी चौटाला ने 9 साल से ज्यादा की सजा काटी। आखिर में सजा पूरी होने से पहले 2 जुलाई 2021 को कोर्ट ने ओम प्रकाश चौटाला को रिहा करने के आदेश दिए।

 

ज्यादा पढ़े-लिखे न होने की वजह से ओम प्रकाश चौटाला को काफी मलाल होता था। जेल में रहने के दौरान उन्होंने पढ़ाई पूरी करने का मन बनाया। तिहाड़ जेल में रहने के दौरान ही उन्होंने दसवीं की पढ़ाई की और परीक्षा भी पास की। अभिषेक बच्चन की फिल्म 'दसवीं' ओम प्रकाश चौटाला पर ही आधारित है।

पांच बार के CM

 

दिसंबर 1989 में पहली बार ओम प्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। हालांकि, 6 महीने में उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। 7वीं विधानसभा में ही ओम प्रकाश चौटाला दूसरी बार जुलाई 1990 में मुख्यमंत्री बने। इसी विधानसभा के दौरान वह तीसरी बार भी सीएम बने लेकिन तीसरी बार वह समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के नेता थे। चौथी बार वह साल 1999 में मुख्यमंत्री बने। ओ पी चौटाला का पांचवां और आखिरी कार्यकाल साल 2000 से 2005 तक रहा। आखिरी के दो कार्यकाल में वह अपनी खुद की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के नेता के रूप में निकाले।

 

एक और रोचक बात यह है कि उसके बाद से इंडियन नेशनल लोकदल कभी खुद के दम पर सत्ता में नहीं आ पाई। आगे चलकर पार्टी में बिखराव भी हुआ और दुष्यंत चौटाला को पार्टी से निकाला गया तो उन्होंने जननायक जनता पार्टी (JJP) बना ली। मौजूदा समय में INLD और JJP दोनों ही बहुत कमजोर स्थिति में हैं और हरियाणा विधानसभा में भी दोनों की संख्या बेहद कम हो गई है।