सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर अपना हमला तेज करते हुए, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भारत के आर्थिक ढांचे को उन "कॉर्पोरेट दिग्गजों के कार्टेल" द्वारा अंदर से खोखला किया जा रहा है, जिनका उद्देश्य देश के हितों की रक्षा करना है।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि "माधबी बुच कांड" सिर्फ इनसाइडर ट्रेडिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि 'हितों के सीधे टकराव' का एक खुलासा करने वाला मामला है, जहां शक्तिशाली नियामक सेबी उन्हीं कॉर्पोरेट्स के साथ सांठगांठ करते हुए नज़र आ रहे हैं, जिनकी निगरानी करने का उनके पास जिम्मा है।
गांधी ने यह टिप्पणी एक्स पर किए गए एक पोस्ट में की, जो कि एक वीडियो है, और जो उनके और कांग्रेस के मीडिया और प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा की बाचतीच की एक सीरीज़ का हिस्सा है, जिसमें दोनों नेता बुच के खिलाफ हितों के टकराव के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
इस मामले में बुच की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
हालांकि, इससे पहले सेबी प्रमुख ने किसी भी तरह की गड़बड़ी के आरोपों को खारिज कर दिया था।
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में कहा, "भारत के आर्थिक ढांचे को कॉरपोरेट दिग्गजों के उस कार्टेल द्वारा भीतर से खोखला किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य देश के हितों की रक्षा करना है।"
उन्होंने कहा, "माधबी बुच स्कैंडल केवल इनसाइडर ट्रेडिंग नहीं है; यह हितों के प्रत्यक्ष टकराव का एक उजागर करने वाला मामला है, जहां रेग्युलेटर ने उन्हीं के साथ सांठगांठ कर रखी है जिस पर उन्हें नज़र रखने के लिए बनाया गया है।"
उन्होंने कहा, "इस पूरे प्रकरण में, हम सेबी को लेकर चौंकाने वाले पैटर्न को उजागर करते हैं कि - कैसे प्रमुख कॉर्पोरेट प्लेयर्स के साथ मधुर वित्तीय संबंधों ने निगरानी करने वालों को उनके सहयोगी के रूप में बदल दिया है।"
राहुल गांधी ने कहा कि यह खामियों का फायदा उठाने, नियमों को तोड़ने-मरोड़ने और सार्वजनिक हित पर कॉर्पोरेट्स के लाभ को प्राथमिकता देने की एक मिली-जुली प्लानिंग है, जबकि आम भारतीय इसकी कीमत चुका रहे हैं।
लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, "हम इन अनैतिक सौदेबाजियों को उजागर करने और यह बताने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं कि कैसे भारत के संस्थानों को विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को की सुरक्षा के लिए हथियार बनाया गया है। यह केवल एकाधिकार के बारे में नहीं है; यह लोकतंत्र, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और हर भारतीय की आवाज़ को एक ऐसी व्यवस्था के खिलाफ़ सुरक्षित रखने के बारे में है जो उन्हें चुप कराने पर आमादा है।"
छह मिनट से ज़्यादा के इस वीडियो में, खेड़ा गांधी को बुच के खिलाफ़ एक विमान में यात्रा करते हुए 'हितों के टकराव' के विभिन्न आरोपों के बारे में बताते हैं।
खेड़ा बताते हैं कि कैसे कांग्रेस ने इस दावे को उजागर किया कि बुच के सेबी ज्वाइन करते ही अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड 'तुरंत निष्क्रिय' हो गई।
वीडियो में खेड़ा ने गांधी को बताया कि अभी भी उनकी कंपनी में 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है और कंपनी ने महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित कई अन्य को सक्रिय रूप से कन्सल्टेंसी सर्विसेज़ प्रदान की हैं।
उन्होंने राहुल गांधी को यह भी बताया कि बुच ने कथित तौर पर चायनीज़ फंड्स में भी ट्रेड और इन्वेस्ट किया है।
खेड़ा ने गांधी को बताया कि बुच ने 2018 से 2024 तक वॉकहार्ट लिमिटेड की सहयोगी कंपनी कैरोल इंफो सर्विसेज लिमिटेड को एक संपत्ति किराए पर दी थी। वॉकहार्ट कथित तौर पर इनसाइडर ट्रेडिंग सहित कई मामलों के लिए सेबी की जांच के दायरे में है।
वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरबपति गौतम अडानी से मुलाकात की तस्वीर दिखाई गई है, जिस पर गांधी कहते हैं, "महाराजा क्या होता है? महाराजा वह होता है जिसका संस्थानों पर पूरा नियंत्रण होता है, पूरी मनमानी शक्ति होती है, कानूनी और खुफिया तंत्र को नियंत्रित करता है और वह ऐसा लोगों के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं बल्कि अपने हित में करता है।"
गांधी ने एक्स पर वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, "बुच है तो सिंडिकेट सेफ है।" कांग्रेस और विपक्ष बुच के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें तुरंत पद से हटाया जाए।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, माधबी बुच के 2017 में चेयरपर्सन बनने के बाद से ही कांग्रेस गलत तरीके से लाभ कमाने के आरोप उन पर लगा रही है। इसके पहले उनके ऊपर हिंडनबर्ग से लेकर ICICI बैंक से सैलरी लेने और फिर कर्मचारियों के लिए टॉक्सिक वर्क कल्चर जैसे कई गंभीर आरोप लग चुके हैं.
हिंडनबर्ग ने लगाया था क्या आरोप
हिंडनबर्ग का आरोप था कि अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति की हिस्सेदारी थी. हालांकि, इस दावे को अडानी और माधवी बुच दोनों के द्वारा खारिज कर दिया गया था। माधबी बुच ने इस निराधार बताया तो अडाणी ने इसे मुनाफा कमाने वाला और बदनाम करने की साज़िश करार दे दिया था।
कंसल्टेन्सी फर्म से लाभ कमाने का था आरोप
इस वीडियो में जिस कंसल्टेंसी फर्म से लाभ कमाने के आरोप लगाए गए हैं, उसके आरोप उनके ऊपर पहले भी लग चुके हैं। आरोप में कहा गया था कि बुच ने अपने कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेसी फर्म से लाभ कमाना जारी रखा था जो कि रेग्युलेशन्स का उल्लंघन था। हालांकि, बुच ने कहा था कि उन्होंने सेबी को इसका जानकारी दी थी। कांग्रेस का आरोप था कि सेबी चेयरपर्सन की इस कंपनी को कंसल्टेंसी के लिए महिंद्रा से पैसे मिले। उनका आरोप था कि मामले को निपटाने के लिए उन्हें 4.78 करोड़ रुपये दिए गए थे।
ICICI से सैलरी लेने का भी लगा था आरोप
उनके ऊपर पहले यह आरोप भी लग चुका है कि साल 2017 से 2024 के बीच उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक, आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल से ईएसओपी के रूप में करीब 16 करोड़ रुपये प्राप्त किए। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि उन्होंने इतनी सैलरी सेबी चेयरपर्सन के रूप में नहीं कमाई जितनी कि इससे कमाई. हालांकि, आईसीआईसीआई ने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि यह सैलरी नहीं थी बल्कि रिटायरमेंट बेनिफिट्स थे जो उन्हें दिए जा रहे थे।
रेंटल इनकम के जरिए का लगा था आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ही बुच के ऊपर सितंबर में मुंबई में अपने एक लग्जरी अपार्टमेंट को फार्मा कंपनी वॉकहार्ट को रेंट पर देकर मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि इससे 2018 से 2024 के बीच 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का किराया वसूला गया। इसी दौरान कंपनी पर इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए SEBI की जांच चल रही थी। खेड़ा ने दावा किया कि किराए की व्यवस्था संभावित 'क्विड प्रो क्वो' यानी फायदे के बदले फायदा देने का संकेत देती है।
दरअसल, कांग्रेस का आरोप था कि चार सालों में इस अपार्टमेंट का किराया 7 लाख से बढ़कर 46 लाख रुपये हो गया था, जिससे वॉकहार्ट की जांच संदेह के घेरे में आ जाती है। हालांकि, वॉकहार्ट ने भी इन आरोपों को खारिज किया था।
बता दें कि माधबी बुच को 2017 में सेबी का चीफ बनाया गया। इस पद पर नियुक्त होने वाली प्राइवेट सेक्टर की वह पहली महिला हैं। इसके पहले वह तत्काली सेबी चीफ अजय त्यागी के साथ पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम कर रही थीं।