कांग्रेस के दिग्गज नेता और कर्नाटक सरकार में मंत्री जी परमेश्वरा ने महाराष्ट्र में मिली करारी हार पर कहा है कि गठबंधन से सहयोगी शरद पवार और उद्धव ठाकरे योजना के हिसाब से चुनाव प्रचार करने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी शरद पवार (NCP SP) और शिवसेना (UBT) दोनों दलों ने योजना के हिसाब से काम नहीं किया। 

महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों को महा विकास अघाड़ी (MVA) अब पचा नहीं पा रहा है। 101 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस महज 16 सीटें हासिल कर पाई। 89 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना 20 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई। दोनों राजनीतिक पार्टियों ने सीट बंटवारे में सबसे ज्यादा सीटें लीं। 80 से ज्यादा सीटों पर शरद पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP SP) चुनाव लड़ी लेकिन 10 सीट भी नहीं जीत पाई। 

क्यों उद्धव-शरद पवार पर फोड़ा हार का ठीकरा?

उन्होंने कहा, 'लाडली बहन योजना उनके लिए असरदार रहा। वे 6 महीने से इसे दे रहे हैं। यह उनके हाथ में है। हमने सबसे अंत में टिकटों का ऐलान किया। पार्टी में भी भ्रम की स्थिति रही। शरद पवार का गुट और उद्धव ठाकरे का गुट एकजुट ही नहीं हो पाए। विदर्भ में हमें ज्यादातर सीटें नहीं मिलीं।' 

EVM को भी बताया गुनहगार

जी परमेश्वरा महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस के पर्यवेक्षक थे। उन्होंने गठबंधन के दोनों सहयोगी पार्टियों के रुख पर ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि पार्टी को उम्मीद थी कि 50 सीटें विदर्भ में मिलेंगी जब तक वहां ईवीएम है, कांग्रेस के लिए आना कठिन है।'

जी परमेश्वरा ने कहा, 'महाराष्ट्र में कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी ने बहुत बुरा प्रदर्शन किया। हर कोई यह जानता है। हमारे नेताओं ने शनिवार को विश्लेषण किया। अशोक गहलोत और भूपेश बघेल भी साथ थे। हमें जो सूचना मिली, वह हैरान करने वाली रही। ईवीएम हैक किया गया। कुछ खास विधानसभाओं में ऐसा किया गया। मुझे लग रहा है कि उन्होंने ईवीएम ही हैक कर लिया है।'

महाराष्ट्र में कौन होता विपक्ष का नेता?
महाराष्ट्र में अब विपक्ष का नेता कौन होगा, यह ही तय नहीं हो पाएगा। 288 विधानसभा सीटों वाले इस सदन में बहुमत का आंकड़ा 145 है। बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास 235 सीटें हैं। महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनाकुले ने कहा है कि महाराष्ट्र में अब तो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ही नहीं होगा। विपक्ष का फेक नैरेटिव फेल हुआ और लोगों ने महायुति पर भरोसा किया।