केरल में पिछले 9 साल से लेफ्ट की सरकार है। तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस की अगुवाई वाला यूनाइटेड डेमोक्रैटिक फ्रंट (UDF) बहुमत से काफी दूर रह गया था और पिनराई विजयन ने सत्ता बरकरार रखी थी। इस बार 2026 में होने वाले चुनाव से पहले UDF खुद को मजबूत करने में जुटा हुआ है। इसी कोशिश में कांग्रेस की अगुवाई वाले इस गठबंधन में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी शामिल हो गई है। TMC के अलावा कुछ अन्य दल भी UDF में शामिल हुए हैं ताकि वोटों के बिखराव को रोका जा सके और सत्ताधारी लेफ्ट के अलावा नई चुनौती पेश कर रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) को भी फायदा न होने दिया जाए।
UDF ने सोमवार को TMC समेत तीन और राजनीतिक दलों को अपने साथ जोड़कर अपना विस्तार करने का फैसला किया है। यूडीएफ की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीशन ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की केरल इकाई, आदिवासी नेता सी के जानू के नेतृत्व वाली जनाधिपत्य राष्ट्रीय पार्टी (JRP) और विष्णुपुरम चंद्रशेखरन के नेतृत्व वाली केरल कामराज कांग्रेस (KKC) आगामी चुनाव में यूडीएफ की सहयोगी पार्टियां बनेंगी। पूर्व विधायक पी वी अनवर तृणमूल कांग्रेस की प्रदेश इकाई का नेतृत्व कर रहे हैं। सी के जानू और विष्णुपुरम चंद्रशेखरन पूर्व में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ थे। बाद में उन्होंने गठबंधन से नाता तोड़ लिया था।
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क्या है UDF का प्लान?
यूडीएफ नेतृत्व के अनुसार, इन नेताओं ने लेफ्ट डेमोक्रैटिक फ्रंट (LDF) सरकार की 'जनविरोधी नीतियों' के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए विपक्षी मोर्चे में शामिल होने की इच्छा जताई थी। सतीशन ने कहा, 'जब उन्होंने हमसे संपर्क किया तो यूडीएफ की दो बैठकों में इस मामले पर चर्चा हुई और निर्णय लिया गया।' केरल की पूर्व कांग्रेस सरकार के खिलाफ मुथंगा आंदोलन में सी के जानू की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर सतीशन ने कहा कि उस समय हालात अलग थे।
उन्होंने कहा, 'जानू ने आदिवासी समुदाय के बीच काम किया और उनकी नेता के रूप में उभरीं। जानू और उनकी पार्टी यूडीएफ के साथ काम करना चाहती थी, इसलिए हमने उन्हें साथ लेने का फैसला किया।' उन्होंने कहा कि यूडीएफ अब आदिवासी समुदाय और उनके कल्याण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। नीलांबुर के पूर्व विधायक पी वी अनवर ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ सार्वजनिक रूप से मतभेद के बाद हाल में LDF से नाता तोड़ लिया था। सतीशन ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के तहत अगले महीने UDF सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा की जाएगी।
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उन्होंने यह भी घोषणा की कि UDF फरवरी में कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक एक रैली का आयोजन करेगा। सतीशन ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के बाद UDF न तो LDF और न ही NDA के साथ सहयोग करेगा। इससे पहले, केरल कांग्रेस (जोसेफ) के अध्यक्ष पी जे जोसेफ ने कहा कि UDF को मजबूत करने का मतलब यह नहीं है कि उसमें नई पार्टियां शामिल की जाएं। वह केरल कांग्रेस (मणि) की UDF में संभावित वापसी के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
UDF के हौसले बुलंद
हाल ही में हुए केरल निकाय चुनाव में UDF को जबरदस्त सफलता मिली थी जिससे वह UDF के सहयोगी दल खासे उत्साहित हैं। 6 में से 4 नगर निगमों में UDF को जीत मिली, UDF को 54 तो LDF को 28 नगर पालिकाओं में जीत मिली थी। वहीं, दोनों ही प्रमुख गठबंधनों को 7-7 जिला पंचायतों में जीत मिली थी। UDF के 79 और LDF के 63 ब्लॉक प्रमुख चुनाव जीते।
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इससे पहले लोकसभा चुनाव में भी UDF को बंपर जीत मिली थी। केरल की 20 में 16 सीटों पर कांग्रेस, 2 सीट पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, एक सीट पर केरल कांग्रेस जोसेफ और एक सीट पर रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने चुनाव लड़ा था। इस गठबंधन ने लेफ्ट के साथ-साथ बीजेपी के भी हौसले पस्त कर दिए थे। 20 में से 18 सीटों पर UDF को जीत मिली थी। कांग्रेस 14, IUML 2, केरल कांग्रेस ने 1 और RSP ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, 2019 में भी UDF ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी और विधानसभा चुनाव में LDF ने बाजी पलट दी थी।
