दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चुनाव आयोग, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर उन्हें हराने की साजिश रच रहा है। उन्होंने कहा था कि आम आदमी पार्टी को चुनाव हराने के लिए वोटरों के नाम काटे जा रहे हैं, नए नाम जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने संजय सिंह की पत्नी तक का नाम वोटर लिस्ट से काटने का आरोप लगाया। महाराष्ट्र और झारखंड में ऐसे आरोप लगे थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इसी राह पर हैं। 

ममता बनर्जी की चिंता है कि वोटर लिस्ट से लोगों के नाम काटे जा रहे हैं, नए नाम जोड़े जा रहे हैं। बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 17 लाख फर्जी वोटर हैं तो ममता बनर्जी ने जवाब में यह चिंता जताई कि राज्य में फर्जी मतदाताओं की संख्या बीजेपी के इशारे पर चुनाव आयोग बढ़ा रहा है। 

ममता बनर्जी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने भी प्रतिक्रिया दी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि कुछ वोटरों के पास समान EPIC नंबर हैं लेकिन वे अलग-अलग राज्यों से हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि EPIC संख्या में दोहराव का मतलब डुप्लिकेट या नकली वोटर नहीं है।

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अरविंद केजरीवाल से क्या सीख रहीं ममता बनर्जी?
तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कई वोटरों के पास एक ही EPIC नंबर है। उन्होंने वोटर लिस्ट के निष्पक्ष होने पर चिंता जताई है। ममता बनर्जी ने बीते सप्ताह कोलकाता में पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करते हुए उन्हें वोटर लिस्ट की जांच करने के लिए कहा। उन्होंने आरोप लगाया है कि बीजेपी चुनाव आयोग की मदद से फर्जी मतदाताओं को जोड़ रही है।


ममता उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और दिल्ली में मतदाता सूची में भाजपा ने चुनाव आयोग के आशीर्वाद से छेड़छाड़ की है। ममता बनर्जी ने कहा, 'महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद अब आप बंगाल को निशाना बना रहे हैं। हम आपको करारा जवाब देंगे। एक बार फिर खेला होबे। मैं पार्टी कार्यकर्ताओं से इस बार गेंद को और जोर से मारने के लिए कह रही हूं।'

 

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सोमवार को एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि जो पश्चिम बंगाल के नहीं भी हैं, उन्हें डुप्लीकेट EPIC नंबर जारी किए जा रहे हैं। उन्हें फर्जी कार्ड के सहारे पश्चिम बंगाल में वोट डालने के लिए लाया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ के जरिए आम आदमी पार्टी को हराने की साजिश रची गई।

तृणमूल कांग्रेस के आरोपों पर चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग ने माना है कि डुप्लिकेट EPIC नंबर थे लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ये फर्जी वोटर हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि EONET प्लेटफॉर्म शुरू होने से पहले अलग-अलग राज्य EPIC कार्ड के लिए एक ही अल्फान्यूमेरिक सीरिज का इस्तेमाल कर रहे थे। इसकी वजह से EPIC नंबरों की डुप्लिकेसी की इजाजत  मिल गई। आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट पर विवरण, नाम, पता, विधानसभा और मतदान केंद्र अलग-अलग होंगे।

चुनाव आयोग ने कहा है कि EPIC नंबर चाहे जो भी हों, कोई भी वोटर, अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में ही तय मतदान केंद्रों पर ही वोट डाल सकता है, जहां उसका नाम वोटर लिस्ट में है। अगर नाम नहीं है तो वोट भी नहीं डाल सकता है। 

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चुनाव आयोग ने कहा है किसी भी आशंका को दूर करने के लिए रजिस्टर्ड वोटरों को यूनिक EPIC नंबर दिए जाएंगे। डुप्लिकेट EPIC नंबर किसी भी केस में यूनिक नंबर देकर ठीक कर लिया जाएगा। प्रक्रिया आसान बनाने के लिए ERONET 2.0 प्लेटफॉर्म को अपडेट किया जाएगा। चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिन लोगों के नंबर डुप्लिकेट हो गए हैं, उन्हें नए EPIC नंबर जारी किए जाएंगे।

EPIC क्या है, कैसे आवंटित किया जाता है?
रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टोरल रूल्स 1960 के मुताबिक फर्जी वोट कार्डों को रोकने के लिए सभी मतदाताओं को एक फोटो आइडेंटिटी कार्ड जारी किया जाता है। रजिस्टर्ड मतदाताओं को 1933 से राज्य सरकार की ओर से EPIC जारी किया जाता है। EPIC एक आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट है। सिर्फ EPIC होने से ही आपको वोटिंग का अधिकार नहीं मिल जाता है। वोटिंग का अधिकार उन्हें ही मिलता है, जिनका नाम संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों की वोटर लिस्ट में है।  

EPIC में वोटर का नाम, उम्र, निवास स्थआन और ईसी की ओर से मुहैया कराए गए विवरण होते हैं। एक फोटो होता है, रजिस्ट्रेशन अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं। फंक्शन यूनीक सीरियल नंबर (FUSN) चुनाव आयोग हर विधानसभा के लिए उपलब्ध कराता है। EPIC में 3 अल्फाबेटिकल कोड और 7 डिजिट के नंबर होते हैं। इन नंबरों को चुनाव आयोग देता है।  

EPIC को चुनाव आयोग के ERONET पोर्टल का के इस्तेमाल से तैयार किया गया है। मैनुअल में कहा गया है कि EPIC केवल ऑनलाइन ही बनाए जा सकते हैं। मैनुअल में कहा गया है, 'जब भी किसी वोटर को पहली बार EPIC जारी किया जाता है तो हर वोटर को एक यूनिक EPIC नंबर आवंटित किया जाता है। रिप्लेसमेंट के मामले में भी EPIC का नंबर, पुराने जैसा ही रहेगा।