राज्यसभा में कथित रूप से कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से नोटों की गड्डी पाए जाने के मामले को लेकर काफी विवाद हो रहा है। सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को सदन में घोषित किया कि सीटी संख्या 222 से नोटों की एक गड्डी बरामद हुई है। यह सीट फिलहाल कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को एलॉट किया गया है। नोटों की गड्डी 5 दिसंबर को एंटी-सैबटेज सिक्युरिटी चेक के तहत पाई गई।
तो हम आपको बताते हैं कि क्या है एंटी सैबटेज ड्रिल जिसके तहत यह हुआ?
दरअसल, संसद सत्र के दौरान हर दिन कार्यवाही के शुरुआत में और कार्यवाही समाप्त होने के बाद भी सदन की एंटी सैबटेज जांच होती है। जांच का उद्देश्य सिर्फ इतना होता है कि कई बार चश्मा, मोबाइल, डायरी जैसी अगर कोई चीज छूट गई है तो उसे राज्यसभा सचिवालय के लॉस्ट एंड फाउंड काउंटर पर जमा करा दिया जाता है।
इसी प्रक्रिया के तहत जब 5 दिसंबर को छानबीन के तहत 500 रुपये की गड्डी मिली को राज्यसभा सचिवालय को इसकी जानकारी दी गई और गड्डी को लास्ट एंड फाउंड में जमा कर दिया गया। इसके बाद सभापति को इसके बारे में सूचित किया गया।
हालांकि, तेलंगाना से कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया है। इस तरह की घटना यूपीए सरकार की न्यूक्लियर डील पर सीपीएम के समर्थन वापस लेने पर विश्वास मत हासिल करने की प्रक्रिया के दौरान बीजेपी के सांसदों ने नोटों की गड्डियां लहराई थीं।
कब से हो रही यह ड्रिल?
पहले यह जिम्मेदारी सीआरपीएफ को दी गई थी, लेकिन मई 2024 में करीब 1,400 कर्मियों को इन कर्तव्यों से हटा दिए जाने के बाद सीआईएसएफ ने संसद परिसर में सभी आतंकवाद निरोधी और एंटी-सैबटेज सिक्युरिटी ड्यूटी को अपने हाथ में ले लिया। वर्तमान में 3,317 सीआईएसएफ कर्मियों की एक टुकड़ी पुराने और नए संसद भवन और परिसर में अन्य संरचनाओं की सुरक्षा के लिए तैनात है।
सीआईएसएफ के आने से पहले, तीन एजेंसियों, सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस और संसद की अपनी सुरक्षा सेवाओं की एक संयुक्त टीम ने इमारत में एंटी- सैबटेज सिक्युरिटी एक्सरसाइज की। सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस को अब परिसर से हटा दिया गया है, और संसद सुरक्षा सेवा (पीएसएस) के कर्मचारियों को पूरी तरह से प्रशासनिक कामों में लगा दिया गया है।
CISF को क्यों सौंपी जिम्मदारी?
संसद परिसर की समग्र सुरक्षा की जांच करने तथा उपयुक्त सिफारिशें करने के लिए सीआरपीएफ महानिदेशक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई। 20 मई को सीआईएसएफ ने संसद परिसर की पूरी सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथ में ले ली।