तमिल फिल्मों के सुपरस्टार एक्टर विजय अब सियासत में भी उतर पड़े हैं। उनकी पार्टी का नाम तमिलगा वेत्री कज़गम (TVK) है। उनके प्रशंसक उन्हें थलापति कहते हैं, जिसका मतलब होता है सेनापति। सुपरस्टार विजय, राजनीति में वाम और दक्षिण के खांचे में फिट नहीं बैठते हैं लेकिन वे उन विचारकों से प्रेरित हैं, जिनका झुकाव वाम और दक्षिण दोनों तरफ रहा है।|
एक्टर विजय के कामराज,पेरियार, वेलु नचियार, अंजलाई अम्माल और बीआर अंबेडकर को मानते हैं। ये नेता सामाजवादी और वाम विचारधारा के चितंक माने जाते हैं। पेरियर तो हिंदुत्व के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं। विजय थलापति की पार्टी धर्मनिरपेक्ष और जाति विहीन राजनीति में भरोसा करती है। विजय थलापति को ये नेता क्यों पसंद आए, आइए समझते हैं इसकी कहानी।
भीमराव अंबेडकर
बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर संविधान निर्माता हैं। उन्हें जाति प्रथा को मिटाने, छुआ-छूत को दूर करने और समाज के वंचित वर्ग को समान अधिकार दिलाने लिए आज भी लोग याद करते हैं। वे सामाजिक बराबरी के पक्षधर थे और वर्गविहीन समाज की कल्पना करते थे। वे महिला और वंचित अधिकारों की वकालत करते थे। उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है।
पेरियार
पेरियार हिंदुत्व के सबसे मुखर आलोचकों में से एक थे। उन्हें तमिलनाडु में लोग थानथाई पेरियार के नाम से भी जानते हैं। पेरियार ईवी रामासामी, द्रविड़ आंदोलन के जनक माने जाते हैं। वे द्रविड़ राज्य के लिए संघर्षरत रहे और तमिलों पर हिंदी थोपने के खिलाफ रहे। वे समाज सुधारक थे और महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ते थे।
के कामराज
के कामराज स्वतंत्रता सेनानी थे। वे सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन का भी हिस्सा रहे थे। वे मद्रास के पहले मुख्यमंत्री बने थे। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक और केरल के संयुक्त मुख्यमंत्री वे साल 1954 में रहे। वे कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 1962 के बाद डगमगाई कांग्रेस पार्टी को संभाला। वे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे।
वेलु नेचियार
वेलु नेचियार, शिवगंगा क्षेत्र की 18वीं सदी की स्वंतत्रा सेनानी थीं। उन्होंने ब्रिटिश और ईरानी सेना के खिलाफ हथियार उठाया था। वे पहली महिला क्रांतिकारी थीं, जिन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। उन्होंने साल 1790 में अंग्रेजों े खिलाफ साल 1790 में जंग छेड़ दी थी। वे बुद्धिमान थीं और बेहतरीन तीरंदाज थीं।
अंजलाई अम्मल
अंजलाई अम्मल, तमिलनाडु के कुड्डालोर की एक स्वतंत्रता सेनानी थीं। वे समाज सुधारक थीं और वर्षों तक जेल में रहीं। वे महिला शिक्षा की पैरोकार थीं. महात्मा गांधी के आंदोलनों में भी वे शामिल रही थीं। वे कांग्रेस के महिला शाखा की अध्यक्ष भी रहीं।