बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को केरल का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की कोर कमेटी ने तिरुवनंतपुरम में रविवार को एक मीटिंग के दौरान इसका फैसला किया। इस मीटिंग में केरल के पार्टी इंचार्ज प्रकाश जावडेकर और को-इंचार्ज अपराजिता सारंगी मौजूद थीं।

 

उम्मीद की जा रही है कि चंद्रशेखर के नाम की घोषणा सोमवार को कोडियार के उदय पैलेस कन्वेंशन सेंटर में की जाएगी। माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पार्टी नेता प्रह्लाद जोशी, जो कि पार्टी के केरल सांगठनिक चुनाव के इंचार्ज हैं वह भी मीटिंग में उपस्थित रहेंगे।

 

किया था बेहतरीन प्रदर्शन

चंद्रशेखर ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, 'मुझे खुशी हो रही है और सम्मान की भी अनुभूति हो रही है कि केरल भाजपा में मेरे सभी सहयोगियों ने मुझे पार्टी अध्यक्ष बनने के योग्य समझा।'

 

पिछले साल लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर का प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा। वह तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस के शशि थरूर से मात्र 16,000 वोटों के मामूली अंतर से हारे थे। चंद्रशेखर चुनाव में देर से उतरे और प्रचार के लिए उन्हें सिर्फ़ दो ही महीने मिले थे फिर भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया।

 

क्या है समीकरण?

भाजपा ने चंद्रशेखर को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में लाभ पाने को ध्यान में रखकर यह फैसला किया है। बीजेपी ने हिंदू और ईसाई वोटों को एकजुट करने और महत्वाकांक्षी, शिक्षित युवाओं तक पहुंच बनाकर केरल के द्विध्रुवीय चुनावी परिदृश्य में एक वैकल्पिक शक्ति के रूप में उभरने के उद्देश्य से ऐसा किया है।

 

पार्टी को उम्मीद है कि नायर समुदाय से आने वाले चंद्रशेखर कथित रूप से उच्च जाति के हिंदू मतों को एकजुट करने सफल रहेंगे और उनके प्रमुख एझावा समुदाय के नेता वेल्लपल्ली नटेसन और उनके परिवार से भी अच्छे संबंध हैं इसलिए वह भारत धर्म जन सेना (BDJS) को भी बीजेपी के साथ ला सकते हैं।

 

राज्य में ईसाई और मुस्लिम समुदायों के बीच बढ़ती दरार के बीच — दोनों ही सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं — भाजपा ऐसा नेता चाहती थी जो ईसाइयों का समर्थन हासिल कर सके। ईसाई समुदाय का एक वर्ग, जो राज्य की आबादी का 19% है और जिसे पारंपरिक कांग्रेस मतदाता माना जाता है, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) दोनों से नाराज़ है। 

 

उनका मानना है कि राज्य की दो प्रमुख पार्टियां उनकी समस्याओं के प्रति उदासीन हैं और उनके राजनीतिक वर्चस्व में मुसलमानों का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है।

 

क्या हैं चुनौतियां

चंद्रशेखर के लिए तत्काल चुनौती अक्टूबर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव होंगे। सूत्रों ने कहा कि चंद्रशेखर को केरल भाजपा के विभिन्न गुटों को एकजुट करने में भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जहां कई नेता उन्हें 'बाहरी व्यक्ति' मानते हैं। 

 

भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, 'उन्हें नेताओं और कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेने और सबको एकजुट रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। भाजपा केरल में (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी को अपना मुख्य चेहरा बनाने की योजना बना रही है। इसलिए, राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व को एक साथ काम करना चाहिए। अगर मोदी का व्यक्तित्व और (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह की रणनीति केरल की राजनीति को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाती है, तो हमें एक ऐसे नेता की जरूरत है, जिसके पास भाजपा के विकास की राजनीति के एजेंडे का राष्ट्रीय दृष्टिकोण हो।'

 

क्यों है पार्टी आशान्वित?

भाजपा नेताओं ने कहा कि चंद्रशेखर अपनी टेक्नोक्रेट-उद्यमी छवि के साथ केरल की राजनीति में अलग पहचान बनाएंगे, जहां सफेद कपड़े पहने राजनेताओं का बोलबाला है। 

 

उन्होंने कहा कि इससे शिक्षित युवाओं को पार्टी की ओर आकर्षित करने में मदद मिल सकती है। आरएसएस विचारक और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी आर बालाशंकर ने कहा, 'चंद्रशेखर व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं। वे पारंपरिक राजनीतिक व्यक्तित्व से एक नया बदलाव हैं और एक सफल टेक्नोक्रेट-उद्यमी के साथ-साथ एक अनुभवी राजनेता के रूप में सम्मानित और प्रसिद्ध हैं। वह लंबे समय से राज्यसभा सांसद हैं और चुनावी रूप से स्वीकार्य चेहरा हैं जैसा कि हमने पिछले लोकसभा चुनाव में देखा था जब उन्होंने तिरुवनंतपुरम से चुनाव लड़ा था, जहां उन्होंने लगभग सीट जीत ली थी।' 

 

उन्होंने कहा, 'केरल में हमेशा से ही ऐसे पढ़े लिखे और  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्तित्व की स्वीकार्यता रही है, जैसा कि हमने वी के कृष्ण मेनन और शशि थरूर जैसे नेताओं के मामले में देखा है। " 

 

चंद्रशेखर की नियुक्ति से पार्टी द्वारा ईसाइयों तक पहुंचने के लिए एक नए प्रयास की उम्मीद है। हाल के दिनों में, उन्होंने जब भी तिरुवनंतपुरम विजिट किया है तब तब चर्च के लीडर्स के साथ मीटिंग की।

 

केरल से हैं उम्मीदें

जबकि मोदी ईसाई समुदाय के साथ भाजपा के बढ़ते संबंधों के बारे में बात करते हैं, पार्टी पिछले चुनावों में थोड़ी सफलता का स्वाद चखने के बाद केरल में आगे बढ़ने की उम्मीद कर रही है। मणिपुर में जातीय संघर्ष भड़कने के बाद भाजपा के प्रयासों को झटका लगा, जहां कई ईसाई हमले की चपेट में आ गए।

 

पार्टी को उम्मीद है कि चंद्रशेखर जैसे शिष्ट और स्पष्टवादी नेता केरल में विभिन्न चर्च ग्रुप के लीडर्स के साथ जुड़ेंगे और धीरे-धीरे पूरी कम्युनिटी का विश्वास जीतेंगे।

 

तीन बार के राज्यसभा सांसद, चंद्रशेखर को जुलाई 2021 में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। वे सेमीकंडक्टर निर्माण क्षेत्र के एक बिजनेसमैन रहे हैं।