इंडिया ब्लॉक का मुखिया ममता बनर्जी को बनाए जाने का मुद्दा अभी थमा भी नहीं था कि एक नई दरार पैदा होती हुई दिख रही है। 

उन्होंने कांग्रेस के ईवीएम खराब होने वाली आपत्ति को दरकिनार करते हुए कहा कि जब कोई हार जाता है तो उसे ईवीएम में खराबी नजर आने लगती है।

 

हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने ईवीएम के खराब होने पर आरोप लगाए थे। 

 

मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में अब्दुल्लाह ने कहा, 'जब उसी ईवीएम का उपयोग करके आपको संसद में सौ से ज्यादा सदस्य मिले हों, और आप इसे अपनी पार्टी की जीत के रूप में सेलिब्रेट करें तो आप कुछ महीनों बाद पलटकर यह नहीं कह सकते कि।।। हमें ये ईवीएम पसंद नहीं हैं, क्योंकि अब चुनाव परिणाम उस तरह नहीं आ रहे हैं, जैसा आप चाहते थे।'

 

उन्होंने आगे कहा कि अगर पार्टियों को ईवीएम में विश्वास नहीं है तो उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। अगर आपको ईवीएम से दिक्कत है तो यह दिक्कत हमेशा होनी चाहिए।

 

उन्होंने कहा, 'जो सही है, वह सही है।' अब्दुल्लाह ने कहा कि वह अपने सिद्धांतों के मुताबिक बोलते हैं। 

 

सेंट्रल विस्टा को अपना समर्थन देते हुए उन्होंने कहा कि दूसरे लोगों के विश्वास के विपरीत मुझे लगता है कि दिल्ली में सेंट्रल विस्टा काफी अच्छा कदम रहा। मुझे लगता है कि नए संसद के निर्माण एक बेहतरीन विचार है। नए बिल्डिंग की ज़रूरत थी।

किस बात का है गुस्सा

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उमर अब्दुल्लाह जम्मू कश्मीर में हुए चुनाव से ही कांग्रेस से नाखुश हैं। क्योंकि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान अपेक्षित प्रचार नहीं किया था। फिर भी एनसी को 42 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं।

 

उन्होंने कहा कि ईवीएम तो वही थी फिर भी नतीजे अलग थे। ऐसे में पार्टियों को इसे हार का कारण नहीं मानना चाहिए।

उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि लोकसभा में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन सितंबर के विधानसभा चुनावों में भारी जीत मिली।

इंडिया ब्लॉक में बढ़ रही दरार

पिछले कुछ दिनों से इंडिया ब्लॉक में दरार बढ़ती ही जा रही थी। हाल ही में ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व संभालने की बात कही थी इसके बात इस पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई थी। जहां शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी), सपा इत्यादि ने इसका समर्थन किया था, वहीं कांग्रेस को यह बात रास नहीं आई थी।

 

इसके अलावा महाराष्ट्र में एमवीए की करारी हार के बाद भी शिवसेना (यूबीटी) ने इस बात के संकेत देने शुरू कर दिए थे कि आगामी बीएमसी चुनाव वह अकेले लड़ने का फैसला कर सकती है। इधर हरियाणा चुनावों में भी कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया था और दिल्ली में भी आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से मना कर दिया है।