24 मई 2025 की रात तेज प्रताप यादव के आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक फोटो अपलोड की गई। फोटो में तेज प्रताप यादव बैठे हैं और बंगल में एक लड़की खड़ी है। नाम अनुष्का यादव बताया गया। इसमें दावा किया गया कि पिछले 12 साल से दोनों रिश्ते में हैं। कुछ समय बाद पोस्ट को डिलीट कर दिया गया। बाद में एक नई पोस्ट साझा की गई। इसमें लिखा कि ये परिवार को बदनाम करने की साजिश है।

 

अगले दिन यानी 25 मई को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अपने एक्स अकाउंट में पोस्ट लिखा और सबकुछ साफ कर दिया। उन्होंने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से निकालने की जानकारी दी। लालू यादव ने तेज प्रताप के पोस्ट न केवल लोक आचरण के खिलाफ बताया बल्कि गैर-जिम्मेदाराना भी कहा। उन्होंने कहा कि यह व्यवहार पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। तेज प्रताप को छह साल के लिए पार्टी से निकाला गया है। मौजूदा समय में तेज प्रताप यादव बिहार की हसनपुर सीट से विधायक है। अब सवाल उठता है कि पार्टी से निकाले जाने के बाद उनकी विधायकी बचेगी या नहीं?

 

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दूसरी बार विधायक बने तेज प्रताप यादव

2020 में तेज प्रताप यादव ने हसनपुर विधानसभा सीट पर जेडीयू प्रत्याशी राज कुमार राय को शिकस्त दी थी। तेज प्रताप को कुल 80991 मत मिले थे। वहीं राज कुमार राय को 59852  वोटों से संतोष करना पड़ा था। हार जीत का फैसला 21139 मतों से हुआ था। 2015 विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप ने महुआ सीट से चुनाव जीता था। चुनावी हलफनामे के मुताबिक तेज प्रताप यादव के पास कुल 2.82 करोड़ रुपये की संपत्ति है। 17 लाख रुपये से अधिक की देनदारी है। 

विधायकी जाएगा या नहीं, ऐसे समझिए

सवाल यह है कि पार्टी से निष्कासन के बाद क्या तेज प्रताप यादव की विधानसभा सदस्यता खत्म होगी? इस सवाल का जवाब थोड़ा पेचीदा है। दरअसल, 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने जी विश्वनाथन मामले में दलबदल विरोधी कानून की व्याख्या की थी। इसके मुताबिक निष्कासन के बाद भी विधायक और सांसद पर पार्टी का नियंत्रण होता है। उसे व्हिप का पालन करना होगा। पार्टी विरोधी कृत्य पर विधानसभा अध्यक्ष एक्शन ले सकते हैं।

 

समाजवादी पार्टी ने साल 2010 में अमर सिंह और जया प्रदा को पार्टी से निकाल दिया था। दोनों नेताओं को आशंका थी कि पार्टी व्हिप के खिलाफ जाने पर उनकी सदस्यता खत्म कर दी जाएगी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो तत्कालीन अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पीएस नरसिम्हा ने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, अरुण मिश्रा और प्रफुल्ल सी पंत की पीठ को बताया कि संसद या विधानसभा का कोई सदस्य पार्टी से निकाले जाने के बाद खुद ही अयोग्य नहीं होता है। अगर सदस्य ने किसी और दल का दामन थाम लिया है या पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया तो 10वीं अनुसूची के तहत विधानसभा अध्यक्ष कार्रवाई कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर 2024 में हिमाचल प्रदेश के छह विधायकों ने बगावत की थी। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने सभी विधायकों की सदस्यता खत्म कर दी थी। 

 

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क्या है दल बदल कानून?

1985 से पहले देश में दल बदल के खिलाफ कोई कानून नहीं था। इसी साल राजीव गांधी की सरकार एक विधेयक लेकर आई और 52वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में 10वीं अनुसूची जोड़ी। कानून का उद्देश्य दल बदल पर लगाम लगाना था। इसके प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई नेता पार्टी बदलता है तो उसकी सदस्यता भी खत्म हो सकती है। पार्टी लाइन के खिलाफ और व्हिप के उल्लंघन पर सदस्यता गंवानी पड़ेगी। 2003 में संविधान में 91वां संशोधन किया गया और सामूहिक दलबदल को भी असंवैधानिक करार दिया गया। मगर अपवाद यह है कि अगर किसी पार्टी के दो तिहाई सदस्य दूसरे दल में मिल जाते हैं तो उनकी सदस्यता बनी रहेगी।

2018 में ऐश्वर्या राय से हुई थी शादी

तेज प्रताप यादव की शादी 2018 में ऐश्वर्या राय से हुई थी। ऐश्वर्या आरजेडी के विधायक रहे चंद्रिका राय की बेटी हैं। शादी के बाद ही तेजप्रताप और ऐश्वर्या के बीच अनबन की खबरें थीं। मौजूदा समय में दोनों अलग-अलग रहते हैं और मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस बीच अनु्ष्का के साथ रिश्ते को सार्वजनिक करने के बाद तेज प्रताप यादव बिहार की सियासत के केंद्र में हैं।