हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, 30 अप्रैल बुधवार को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर शुभ मुहूर्त में पूजा करने से कई गुना लाभ मिलता है। आइए जानते हैं-
अक्षय तृतीया 2025 शुभ
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 30 अप्रैल, दोपहर 02 बजकर 02 मिनट तक रहेगी। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। रोहिणी नक्षत्र शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगा और शोभन योग दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। दोनों ही योग पूजा के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
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अक्षय तृतीया को कहा जाता है अबूझ मुहूर्त
अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे मांगलिक काम जैसे, विवाह, गृह प्रवेश मुंडन आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। बता दें कि अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु, धन की देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर की उपासना का विधान है। मान्यता है कि इनकी उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और धन-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अक्षय तृतीया पूजा विधि
अक्षय तृतीया के दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। घर के पूजन स्थान को स्वच्छ करके भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। जल, फूल, चावल, हल्दी, अक्षत, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें। पीले फूल और मीठा भोग चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। गंगा जल या शुद्ध पानी से कलश स्थापित करें। दिनभर व्रत रखें और दान-दक्षिणा दें। खासतौर पर गेहूं, चावल, गुड़ और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन किया गया पुण्य अक्षय फल देता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।