संक्रांति पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ का विधान है। बता दें कि संक्रांति में भी मकर संक्रांति को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। संक्रांति पर्व का संबंध सूर्य देव से जुड़ा हुआ है। बता दें कि जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में विचरण करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है और नए साल के प्रारंभ में मकर संक्रांति मनाई जाती है। आइए जानते हैं, कब है मकर संक्रांति और इस दिन का महत्व।

 

मकर संक्रांति को ‘सूर्य के उत्तरायण होने’ के रूप में भी जाना जाता है, जिसका मतलब है कि सूर्य दक्षिण दिशा से उत्तर की ओर गति करते हैं। इस दिन को सर्दियों के अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति 2025 कब?

वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर संक्रांति पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इसके साथ इस दिन महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा, व संक्रांति का क्षण सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर होगा।

मकर संक्रांति की पौराणिक कथा

मकर संक्रांति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं। शनि मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

 

दूसरी कथा के अनुसार, महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु के लिए मकर संक्रांति का दिन चुना था क्योंकि यह दिन मोक्ष प्राप्ति के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का नाश कर उन्हें पाताल लोक भेजा था। इसलिए मकर संक्रांति को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति को भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह नई फसल की खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। इस समय खेतों में फसलें तैयार हो जाती हैं और कटाई शुरू होती है। लोग इस दिन सूर्य देव की पूजा करते हैं और उनसे अच्छे स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना करते हैं।

 

धार्मिक दृष्टि से भी मकर संक्रांति को अत्यंत शुभ माना जाता है। लोग गंगा, यमुना, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। मान्यता है कि इस विशेष दिन स्नान और दान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाकर इस पर्व को मनाया जाता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।