हिंदू धर्म में अमावस्या व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक मास में अमावस्या के दिन पवित्र स्नान और पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम दिन है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ, स्नान-दान इत्यादि कर्म करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। शास्त्रों में अमावस्या व्रत के महत्व को विस्तार से बताया गया है। बता दें कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन मौनी अमावस्या व्रत का पालन किया जाएगा। आइए जानते हैं किस दिन रखा जाएगा मौनी अमावस्या व्रत और इस दिन का महत्व।

मौनी अमावस्या 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 जनवरी शाम 07 बजकर 35 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 29 जनवरी शाम 06 बजकर 05 मिनट पर हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार, 29 जनवरी, बुधवार के दिन मौनी अमावस्या व्रत का पालन किया जाएगा। इस विशेष दिन पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जो रात्रि 09 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा।

पौराणिक कथा

मौनी अमावस्या से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा समुद्र मंथन से संबंधित है। कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया, तो उसमें से 14 रत्न निकले। इन रत्नों में से एक 'अमृत कलश' भी था, जिसे देवता और असुर दोनों पाना चाहते थे। इसी दौरान, भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके अमृत का वितरण किया। इस कथा के अनुसार, माघ मास की अमावस्या तिथि पर अमृत कलश का प्रकट हुआ था। इसलिए, इस दिन का विशेष महत्व है और इसे पुण्य प्राप्ति का अवसर माना जाता है।

 

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आध्यात्मिक महत्व

मौनी अमावस्या पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल, प्रयागराज में स्नान का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कई लोग इस दिन दान-पुण्य करते हैं, जैसे अन्न, वस्त्र और धन का दान, जिसे अत्यंत शुभ माना गया है।

मौन साधना का महत्व

मौनी अमावस्या पर मौन रहने का उद्देश्य आत्मनिरीक्षण और ईश्वर से जुड़ाव बढ़ाना है। मौन रहने से मन की चंचलता कम होती है और ध्यान में गहराई आती है। यह दिन आत्मशुद्धि और मानसिक शांति के लिए उत्तम है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।