हिंदू धर्म में अमावस्या व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि आज के दिन मौनी अमावस्या व्रत का पालन किया जा रहा है और यह माघ माह के प्रमुख व्रत और त्योहारों में से एक है। वर्ष 2025 का मौनी अमावस्या व्रत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। आज के दिन कुंभ मेले का दूसरा अमृतस्नान किया जाएगा। आइए जानते हैं, आज के दिन किस समय स्नान और पूजा-पाठ करना चाहिए।
मौनी अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि का समापन आज शाम 6:05 बजे होगा। आज के दिन सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो रात्रि 9:22 तक रहेगा। बता दें कि अमावस्या तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 5:25 से सुबह 6:18 के बीच रहेगा। वहीं, पूजा-पाठ के लिए सही समय सुबह 5:51 से सुबह 7:11 के बीच है।
अमावस्या के इस पवित्र दिन पर गंगा स्नान, दान-पुण्य और भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व है। श्रद्धालु इस दिन तीर्थों पर जाकर पवित्र स्नान करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत का पालन करते हैं।
मौनी अमावस्या में पवित्र स्नान का महत्व और नियम
मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इसे मौन व्रत रखने और पवित्र स्नान करने का दिन माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है। इस दिन पवित्र नदियों, खासकर गंगा, यमुना और संगम में स्नान का विशेष महत्व है। जो लोग स्वयं वहां नहीं जा सकते, वे घर पर ही पवित्र जल में स्नान करके इस दिन का लाभ उठा सकते हैं।
मौनी अमावस्या पर मौन रहने का नियम अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली माना गया है। मौन रहने से व्यक्ति अपने भीतर की शांति का अनुभव करता है और आत्मा की शुद्धि होती है। इसके अलावा, इस दिन उपवास करने का भी विधान है। यह उपवास केवल मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए नहीं, बल्कि भगवान से जुड़ने और उनकी कृपा पाने का माध्यम भी है।
व्रत के नियमों के अनुसार, सुबह जल्दी उठकर स्नान करना, शुद्ध वस्त्र पहनना और भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। दान और धर्म के कार्य भी इस दिन विशेष फलदायी माने जाते हैं। लोग अन्न, वस्त्र, और धन का दान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन मंत्र जाप और भगवद्गीता का पाठ करने से विशेष लाभ होता है। मौनी अमावस्या केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है।