हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के लिए शुभ और अशुभ दोनों समय का ध्यान रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुभ मुहूर्त में पूजा या धार्मिक अनुष्ठान करने से व्यक्ति को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। वहीं कहा जाता है कि अशुभ समय में पूजा-पाठ करने से कोई फल नहीं मिलता है। बता दें कि 11 मई के दिन नृसिंह जयंती मनाई जाएगी और इस दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है।

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रवि योग की गणना शुभ मुहूर्त में की जाती है और कहा जाता है कि इस योग में पूजा करने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं रवि योग का प्रभाव और इससे जुड़ी मान्यताएं।

 

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रवि योग क्या है और कैसे बनता है?

रवि योग एक खास खगोलीय स्थिति में बनता है। जब चंद्रमा किसी भी नक्षत्र में हो और उस दिन रविवार न हो, और चंद्र नक्षत्र और रविवार के स्वामी रवि (सूर्य) के बीच एक विशेष संबंध बने, तब यह योग बनता है।


विशेष रूप से, यह योग तब बनता है जब चंद्रमा, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, हस्त, स्वाति, विशाखा, मूला, श्रवण, शतभिषा और रेवती नक्षत्रों में होता है और सूर्य का दिन यानी रवि वार नहीं होता।

रवि योग में पूजा-पाठ का महत्व

रवि योग को शुभ और सफलता दिलाने वाला योग माना जाता है। इस योग में किया गया कोई भी धार्मिक कार्य, जैसे हवन, पूजन, व्रत, दान या मंत्र-जाप, बहुत जल्दी फल देता है। माना जाता है कि इस समय की गई प्रार्थना और उपासना सीधा ईश्वर तक पहुंचती है।

 

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रवि योग में पूजा करने से क्या लाभ होते हैं?

मनोकामनाओं की पूर्ति – इस योग में की गई प्रार्थना से इच्छाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।

नकारात्मकता से मुक्ति – नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर या बाधाओं से छुटकारा मिलता है।

आध्यात्मिक उन्नति – ध्यान और साधना के लिए यह योग विशेष लाभकारी होता है।

व्यवसाय व करियर में सफलता – नए कार्य की शुरुआत में यह योग लाभ दिलाता है।

स्वास्थ्य में सुधार – इस योग में भगवान सूर्य या आरोग्य के देवता की आराधना करने से आरोग्यता मिलती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।