13 जनवरी 2025, सोमवार से तीर्थराज प्रयागराज में महाकुंभ मेले का शुभारंभ हो गया है। आज के दिन त्रिवेणी के संगम तट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा होगा। 14 जनवरी के दिन होने जा रहे शाही स्नान में देशभर से आए विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत स्नान करेंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ मेले में पूजा-पाठ और स्नान-ध्यान करने से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। हालांकि, कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि प्रयागराज के बाद अगला कुंभ मेला कब और कहां होगा। आइए जानते हैं:
कब होगा अगला कुंभ मेला?
आध्यात्मिक विद्वानों ने बताया कि प्रयागराज के बाद अगला कुंभ मेला वर्ष 2027 में महाराष्ट्र के नासिक शहर में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास गोदावरी नदी के तट पर आयोजित किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, कुंभ मेले का शुभारंभ 14 जुलाई 2027 को कुंभ मेले के ध्वजारोहण से होगा।
क्या है नासिक कुंभ मेले का महत्व?
नासिक का कुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मेलों में से एक माना जाता है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर और गोदावरी नदी इस मेले का मुख्य केंद्र हैं। त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह अत्यंत पवित्र है। मान्यता है कि यहां स्नान और पूजा-अर्चना करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके पाप धुल जाते हैं।
कुंभ मेले की शुरुआत समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि जब देवताओं और असुरों ने अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया था, तो अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरी थीं- हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। इसलिए इन चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।
नासिक का कुंभ मेला साधु-संतों, अखाड़ों और भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यहां नागा साधु, सन्यासी और अन्य धार्मिक समूह बड़ी संख्या में आते हैं। इस मेले का शाही स्नान, साधु-संतों द्वारा नदी में किया जाता है।
गोदावरी नदी को 'दक्षिण गंगा' भी कहा जाता है। यह नदी न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। लाखों श्रद्धालु कुंभ मेले के समय गोदावरी में स्नान करते हैं और त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।