भारत में देवी-देवताओं के अनेक मठ और मंदिर स्थापित हैं, जिनसे कई मान्यताएं और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें 51 शक्तिपीठ भी शामिल हैं, जिनका अपना विशेष महत्व है। ये 51 शक्तिपीठ भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं, जबकि कुछ शक्तिपीठ बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन और श्रीलंका जैसे देशों में भी स्थित हैं। इन्हीं में से एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है अलोपी देवी मंदिर, जो उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित है।

अलोपी देवी मंदिर का महत्व

अलोपी देवी मंदिर को शक्ति साधना और आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है। इसके स्थान पर एक लकड़ी के पलने (झूले) की पूजा की जाती है, जिसे देवी अलोपी के दिव्य स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती की कलाई गिरी थी।

अलोपी देवी मंदिर की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमान के कारण योग बल से स्वयं को अग्नि में समर्पित कर आत्मदाह कर लिया, तो भगवान शिव अत्यंत शोकाकुल हो गए। वे देवी सती के शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में विचरण करने लगे। इस स्थिति को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 टुकड़ों में विभाजित कर दिया। जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

 

ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज में अलोपी देवी मंदिर उस स्थान पर बना है, जहां देवी सती की दाहिनी कलाई स्थित कुंड में गिरी थी और फिर वह अदृश्य हो गई। इसी वजह से इस स्थान को ‘अलोपी शंकरी’ के नाम से जाना जाता है।

अलोपी देवी मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

एक लोककथा के अनुसार, अतीत में इस क्षेत्र में एक राजा का किला था। जब दुश्मनों ने राजा पर हमला किया, तो उनकी रानी और परिवार ने देवी की शरण ली। देवी ने उन्हें बचाने के लिए अदृश्य कर दिया। तब से इस स्थान को ‘अलोपी’, अर्थात ‘गायब करने वाली देवी’, के रूप में पूजा जाने लगा।

 

स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि अलोपी देवी अदृश्य रूप में भक्तों की रक्षा करती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इस मंदिर में विशेष रूप से नवविवाहित जोड़े देवी का आशीर्वाद लेने आते हैं, क्योंकि इसे वैवाहिक जीवन के लिए शुभ माना जाता है।

कुंभ मेले में अलोपी देवी का महत्व

प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले के दौरान अलोपी देवी मंदिर का विशेष महत्व होता है। लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने के बाद इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि इस मंदिर में देवी का आशीर्वाद मिलने से उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।