कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान कहा जाता है। धार्मिक-ग्रंथों में भी कैलाश पर्वत के विषय में विस्तार से बताया है। बात दें कि कैलाश पर्वत के निकट दो झील हैं, जिनसे जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से एक कैलाश मानसरोवर है और दूसरे का नाम राक्षस ताल है।
कैलाश मानसरोवर का नाम अधिकांश लोगों ने सुना होगा, लेकिन राक्षस ताल के विषय में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं। कैलाश पर्वत से 50 किमी दूर इस झील से जुड़ी कई कथाएं और रहस्य प्रचलित हैं। लोक मान्यताओं के अनुसार, राक्षस ताल को राक्षसों का झील भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस झील का निर्माण रावण ने किया था। आइए जानते हैं इस स्थान से जुड़ी मान्यताएं और रहस्य।
राक्षस ताल के निर्माण से जुड़ी कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, जब असुरों का राजा रावण कैलाश पर्वत पर अपने अपने आराध्य भगवान शिव के दर्शन के लिए आया, तब उसने इस स्थान पर एक झील का निर्माण करवाया और उसमें स्नान किया। रावण के स्नान के बाद उस झील में आसुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ गया था और इसपर राक्षसों का कब्जा बढ़ गया।
बता दें कि राक्षस ताल का पानी बहुत ही खारा है। स्थानीय लोग यह भी दावा करते हैं कि कुछ महीनों के अंतराल पर इस झील का रंग बदल जाता है और इस झील में कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता है। इसके साथ स्थानीय निवासी इसके पास भी नहीं जाते हैं। तिब्बती भाषा में इसका नाम ल्हानाग त्सो है, जिसका अर्थ है जहर की झील।
इस झील के विषय में यह भी कहा जाता है कि इसका पानी खारा होने के साथ-साथ विषैला भी है। इसलिए इस पानी को छूने से भी नुकसान होता है। कुछ जानकार यह भी दावा करते हैं कि यहां जिन लोगों ने भी स्नान किया, उन्हें गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा था।
यहां नहीं है किसी को जाने की इजाजत
बता दें कि राक्षस ताल के पास चीन सरकार ने बाड़ लगाया है और घेरेबंदी कि है। यहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है। इस झील को दूर से ही देखने की इजाजत है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।