उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस अवसर पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं। हालांकि, पिछले वर्ष 22 जनवरी को रामलला की भव्य प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी, लेकिन इस वर्ष 11 जनवरी को वर्षगांठ उत्सव मनाया जा रहा है। कई लोगों के मन में यह प्रश्न है कि इसके पीछे क्या कारण है? आइए जानते हैं इसका कारण।
22 की जगह 11 जनवरी को वर्षगांठ क्यों?
रामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा तिथि के अनुसार की गई थी। पंचांग के अनुसार, प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हुआ था। वहीं, इस वर्ष यह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 11 जनवरी के दिन पड़ रही है। इस दौरान श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने मीडिया को बताया कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की वर्षगांठ अन्य हिंदू त्योहारों की तरह मनाई जाएगी। इसलिए तिथियों के आधार पर आज प्राण-प्रतिष्ठा की वर्षगांठ मनाई जा रही है।
क्यों पौष द्वादशी के दिन हुई प्राण-प्रतिष्ठा?
पौष द्वादशी का हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थान है। यह दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत, दान और पूजा-पाठ करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पौष द्वादशी का दिन चुना गया।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि पौष द्वादशी के दिन भगवान विष्णु का तेज अधिक प्रभावी रहता है। यह दिन विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ माना जाता है। भगवान राम, विष्णु के अवतार हैं, और उनकी प्राण-प्रतिष्ठा के लिए इस पवित्र दिन का चयन करना धर्म और परंपरा के अनुरूप था।
कार्यक्रम में 2 हजार लोगों को किया गया आमंत्रित
आज हो रहे वर्षगांठ उत्सव में, राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में करीब 2 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया है। इस कार्यक्रम में स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए हैं। बता दें कि इस उत्सव को "प्रतिष्ठा द्वादशी" के नाम से जाना जाएगा। यह उत्सव तीन दिनों तक चलेगा और इस दौरान कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
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