हिंदू धर्म में श्रावण महीने को बहुत ही पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह महीना भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति को महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से श्रावण मास शुरू होने जा रहा है। इस महीने में सबसे महत्वपूर्ण सोमवार दिन को माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकमान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार दिन बहुत प्रिय है और श्रावण मास में भगवान शिव को समर्पित सोमवार व्रत रखने से और उनकी उपासना करने से खास लाभ प्राप्त होता है। इसके साथ श्रावण महीने में सोमवार दिन सहित कुछ अन्य महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार भी मनाए जाते हैं। आइए जानते हैं, इन व्रत और त्योहारों की सूची और उनकी विशेषता।
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श्रावण 2025 व्रत-त्योहार
- 11 जुलाई 2025, शुक्रवार- श्रावण मास प्रारंभ, कांवड़ यात्रा प्रारंभ
- 12 जुलाई 2025, शनिवार- जया पार्वती व्रत प्रारंभ
- 13 जुलाई 2025, रविवार- जया पार्वती व्रत समापन
- 14 जुलाई 2025, सोमवार- पहला सावन सोमवार, गजानन संकष्टी चतुर्थी
- 15 जुलाई 2025, मंगलवार- पहला मंगला गौरी व्रत
- 16 जुलाई 2025, बुधवार- कर्क संक्रांति (सूर्य का राशि परिवर्तन)
- 17 जुलाई 2025, गुरुवार- सावन कालाष्टमी व्रत
- 21 जुलाई 2025, सोमवार- दूसरा सावन सोमवार, कामिका एकादशी, महाकाल सवारी, रोहिणी व्रत
- 22 जुलाई 2025, मंगलवार- दूसरा मंगला गौरी व्रत, भौम प्रदोष व्रत
- 23 जुलाई 2025, बुधवार- सावन शिवरात्रि
- 24 जुलाई 2025, गुरुवार- हरियाली अमावस्या, सावन अमावस्या
- 27 जुलाई 2025, रविवार- हरियाली तीज
- 28 जुलाई 2025, सोमवार- तीसरा सावन सोमवार, सावन विनायक चतुर्थी, महाकाल सवारी
- 29 जुलाई 2025, मंगलवार- तीसरा मंगला गौरी व्रत, नाग पंचमी
- 30 जुलाई 2025, बुधवार- स्कन्द षष्ठी, कल्कि जयंती
- 31 जुलाई 2025, गुरुवार- तुलसीदास जयंती
- 1 अगस्त 2025, शुक्रवार- मासिक दुर्गाष्टमी
- 4 अगस्त 2025, सोमवार- चौथा और अंतिम सावन सोमवार
- 5 अगस्त 2025, मंगलवार- चौथा मंगला गौरी व्रत, पुत्रदा एकादशी
- 6 अगस्त 2025, बुधवार- पुत्रदा एकादशी पारण, बुध प्रदोष व्रत
- 8 अगस्त 2025, शुक्रवार- वरलक्ष्मी व्रत, हयग्रीव जयंती
- 9 अगस्त 2025, शनिवार- रक्षाबंधन, नारली पूर्णिमा, सावन पूर्णिमा, संस्कृत दिवस
सावन सोमवार व्रत का महत्व
सावन सोमवार व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध व गंगाजल अर्पित करते हैं। माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अविवाहित कन्याएं इस व्रत से अच्छे वर की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
यह व्रत सावन महीने के प्रत्येक मंगलवार को विवाहित स्त्रियों द्वारा किया जाता है। मंगला गौरी व्रत माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत पति की लंबी आयु, दाम्पत्य सुख और संतान की भलाई के लिए किया जाता है। इसमें स्त्रियां दीपदान, कथा व पूजा करती हैं।
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कल्कि जयंती का महत्व
कल्कि जयंती भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कल्कि अवतार कलियुग के अंत में अधर्म को समाप्त करने के लिए प्रकट होंगे। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ, व्रत और दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। भाई उसकी रक्षा का वचन देता है। यह पर्व पारिवारिक प्रेम, विश्वास और संस्कृति की पहचान है। साथ ही, यह सामाजिक एकता का भी संदेश देता है।