गुजरात में विधानसभा होने में अभी दो साल का वक्त बाकी है, लेकिन इससे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राहुल गांधी राज्य में पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने में जुट गए हैं। इसी सिलसिले में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी 8 मार्च को गुजरात के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के राज्य नेताओं के साथ में अहमदाबाद में मीटिंग की। 

 

इस मीटिंग में राहुल ने कांग्रेस की कुछ ऐसी कमियों और बातों को उजागर किया है, जिसपर राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा होने लगी है कि पार्टी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट गई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने अहमदाबाद में बड़ा बयान देते हुए कहा, 'मैं कांग्रेस पार्टी का सदस्य हूं और मंच से मैं ये कहना चाहता हूं कि गुजरात को कांग्रेस पार्टी रास्ता नहीं दिखा पा रही है।' 

 

'गुजरात कांग्रेस में दो तरह के लोग हैं'

 

उन्होंने आगे कहा, 'गुजरात कांग्रेस में दो तरह के लोग हैं। एक वो हैं, जो जनता के साथ खड़े हैं। जिसके दिल में कांग्रेस की विचारधारा है। दूसरा वो हैं, जो जनता से दूर हैं। कटे हुए हैं और उसमें से आधे बीजेपी से मिले हैं। जब तक हमने इन दो को अलग नहीं किया, तब तक गुजरात की जनता हम पर विश्वास नहीं कर सकती है।'

 

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राहुल गांधी ने इस बयान से साफ मतलब है कि वह गुजरात कांग्रेस में पार्टी में रहकर जो नेता भीतरघत कर रहे उन नेताओं की पहचान करके उन्हें जल्द ही बाहर का रास्ता दिखाने वाले हैं। उन्होंने कहा भी कि अगर हमें सख्त कार्रवाई करनी पड़ी। 10, 15, 20, 30 नेताओं को निकालना पड़ा तो निकाल देना चाहिए। बीजेपी के लिए अंदर से काम कर रहे हो। चलो जाकर बाहर से काम करो। तुम्हारी वहां जगह नहीं बनेगी, वो तुमको बाहर निकालकर फेंक देंगे।

 

लोगों के दिल की बातें जानना चाहता हूं- राहुल

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बैठक में कहा, 'मैंने कल वरिष्ठ नेताओं, जिला और ब्लॉक अध्यक्षों से मुलाकात की। मेरा लक्ष्य आपके दिल की बातें जानना और समझना था। इस बातचीत में संगठन, गुजरात की राजनीति और यहां की सरकार के कामकाज से जुड़ी बहुत सी बातें सामने आईं हैं। लेकिन मैं यहां सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लिए नहीं आया हूं, बल्कि प्रदेश के युवाओं, किसानों, महिलाओं और छोटे व्यापारियों के लिए आया हूं।


  
विपक्ष के पास गुजरात में 40 प्रतिशत वोट

 

लोकसभा में नेता के विपक्ष ने कहा, 'विपक्ष के पास गुजरात में 40 प्रतिशत वोट हैं। विपक्ष छोटा नहीं है। अगर गुजरात में कहीं भी दो लोगों को खड़ा करो तो एक बीजेपी, एक कांग्रेस का है। मतलब दो में से एक हमारा एक उनका है। पर हमारे दिमाग में है कि कांग्रेस के पास दम नहीं है। बस 5 फीसदी वोट बढ़ाना है। तेलंगाना में 22 फीसदी वोट बढ़ाया पर यहां की खाक छाने बिना 5 फीसदी वोट नहीं बढ़ेगा। आप मुझे जहां ले जाना चाहते हो, मुझे बताओ- मुझे गुजरात को समझाना है, जनता से रिश्ता बनाना है।'

 

पिछले दो विधानसभा चुनावों का समीकरण क्या है?

 

दरअसल, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को लगभग बराबरी की टक्टर दी थी। उस चुनाव में बीजेपी को 182 विधानसभा सीटों में से कुल 99 सीटों पर जीत मिली थी। भगवा पार्टी को 49.05 फीसदी वोट शेयर के साथ में 14,724,427 वोट मिले थे। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 77 सीटें जीती थीं। पार्टी ने 41.44 फीसदी वोट शेयर हासिल करके 12,438,937 वोट हासिल किए थे। 

 

यानी कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की जीत-हार में 7.61 फीसदी वोटों का अंतर था। इस चुनाव में एक दर्जनभर से ज्यादा सीटें ऐसी थीं, जिनपर हार का अंतर पांट हजार से कम था। ऐसे में राहुल गांधी इसी वोट शेयर की बात कर रहे हैं।  

 

आम आदमी पार्टी का गुजरात में महत्व बढ़ा

 

वहीं, साल 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार एंट्री की, जिससे बीजेपी का वोट प्रतिशत एकदम से बढ़ गया और कांग्रेस का भयंकर रूप से गिर गया।  बीजेपी ने 52.50 फीसदी वोट शेयर के साथ में 16,707,957 वोट हासिल किए। पिछले चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल करते हुए 182 में से 156 सीटों पर कब्जा जमा लिया। 

 

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कांग्रेस का पिछले चुनाव में 2017 के मुकाबले वोट शेयर 14.16 फीसदी गिर गया, जिससे पार्टी को महज 27.28 फीसदी वोट ही मिले और उसे 8,683,966 मिले। कांग्रेस का शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा और उसे 17 सीटें जीतकर संतोष करना पड़ा। हालांकि, 2022 के चुनाव में ही आम आदमी पार्टी ने एंट्री करते हुए पहले ही विधानसभा चुनाव में 12.92 फीसदी वोट शेयर के साथ में 4,112,055 वोट हासिल कर लिए और 5 सीटें भी जीतीं।   

 

40 फीसदी वोट शेयर का मतलब क्या?

 

कांग्रेस नेता ने हालिया बयान इसी को लेकर दिया है कि गुजरात में विपक्ष के पास 40 फीसदी वोट शेयर है। उनका कहना है कि पार्टी के साथ भीतरघत कर रहे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाओ और मेहनत करके बीजेपी सरकार की कमियां बताते हुए जनता के बीच जाया जाए।

 

विपक्ष के नेता राहुल ने 8 मार्च को दिए अपने बयान में कहा, 'मेरे समेत हमारे नेताओं को गुजरात की जनता के बीच उनके घर में जाकर उनकी आवाज सुननी पड़ेगी। हम आपके लिए क्या कर सकते हैं, यह सुनने जाना पड़ेगा। भाषण या नारे नहीं लगाने हैं। पहले जनता को सुनना पड़ेगा। यह आसानी से हो सकता है।' कुल मिलाकर राहुल गांधी गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आशावादी दिखाई दे रहे हैं।