जब हम अचार का नाम सुनते हैं, तो सबसे पहले हमारे दिमाग में आम, नींबू या मिर्च या खट्टा-तीखा स्वाद आता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि अचार केवल सब्जियों से ही नहीं, बल्कि मांस- जैसे मटन, चिकन, सांप, मछली से भी तैयार किए जाते है। हां, सही सुना आपने। जानवरों से बनने वाले ये मांसाहारी अचार भारत के कई हिस्सों में बेहद लोकप्रिय हैं, खासकर उन जगहों पर जहां लोग मांसाहारी भोजन खूब पसंद करते हैं। जैसे हम आम का अचार बनाते हैं-पहले उसे काटकर मसालों में डालते हैं, तेल में पकाते हैं और फिर लंबे समय तक संभाल कर रखते हैं। कुछ वैसी ही प्रक्रिया मांस के अचार की होती है। बस फर्क इतना है कि इसमें मटन, चिकन, सांप, मछली या झींगे होते हैं।
मांसाहारी अचार बनाने की शुरुआत मांस को अच्छे से पकाने या भूनने से होती है। जब मांस अच्छी तरह से गल जाए या भूनकर तैयार हो जाए, तब उसमें ढेर सारे मसाले मिलाए जाते हैं। इन मसालों में शामिल होते हैं– लाल मिर्च पाउडर, हल्दी, धनिया पाउडर, लहसुन-अदरक का पेस्ट और नमक। खट्टे स्वाद के लिए इसमें सिरका या नींबू का रस डाला जाता है, जो अचार को लंबे समय तक खराब होने से भी बचाता है। इसके बाद सरसों का तेल डाला जाता है, जो न सिर्फ अचार में तीखापन लाता है बल्कि उसे लंबे समय तक सुरक्षित भी रखता है। ये सारी चीजें मिलकर अचार को मसालेदार, तीखा और लाजवाब बना देती हैं।
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भारत में किस-किस मांसाहारी अचार का चलन है?
मटन का अचार
मटन (बकरे का मांस) का अचार ज्यादातर आंध्र प्रदेश और राजस्थान में मशहूर है। इसमें मटन के छोटे-छोटे टुकड़े मसालों में डूबे होते हैं। बहुत तीखा और मजेदार होता है यह अचार।
चिकन का अचार
चिकन का अचार खासकर साउथ इंडिया में बनाया जाता है। इसमें चिकन के साथ करी पत्ता और तेज मसाले डाले जाते हैं। पराठे या गरम चावल के साथ इसका स्वाद लाजवाब होता है।
मछली का अचार
कोस्टल एरिया जैसे केरल, गोवा और बंगाल में यह आम है। मछली को तला जाता है या भूनकर अचार में डाला जाता है। इसमें खट्टापन ज्यादा होता है और मसालेदार स्वाद अलग ही मजा देता है।
झींगा (Prawns) का अचार
समुद्री इलाकों में यह अचार खास है। झींगों को पकाकर खास मसालों के साथ सरसों के तेल में अचार बनाया जाता है।
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मांसाहारी अचार की खासियतें
- ज्यादा समय तक टिकता है (अगर सही तरह से स्टोर किया जाए)
- बहुत मसालेदार और तीखा होता है
- खाने में छोटे-छोटे टुकड़ों में काम आता है, ज्यादा नहीं चाहिए होता
- इसका स्वाद थोड़ा कड़क और खट्टा होता है, जो भूख बढ़ा देता है
कब से चल रहा मांसाहारी अचार का चलन?
भारत में अचार बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है, खासकर मसालों और तेल के उपयोग की वजह से। जब लोग यह समझने लगे कि मसाले, नमक और तेल खाने को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं, तब से अचार बनाना शुरू हुआ। मांसाहारी अचार भी इसी सोच का हिस्सा बना। दक्षिण भारत, खासकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में, मांस को मसाले और तेल में डुबाकर रखने की परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है। यहां के लोगों ने मौसम, भंडारण और स्वाद को ध्यान में रखकर मांस को लंबे समय तक संभालने का तरीका निकाला और वही था 'अचार'।
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कुछ ऐतिहासिक तथ्य
मुगल काल में भी शाही खानसामे तरह-तरह के मटन और चिकन अचार बनाते थे, जो महीनों तक टिकते थे और सफर में साथ ले जाए जाते थे। समुद्री इलाकों में मछली और झींगे के अचार सदियों से बनाए जा रहे हैं, ताकि बारिश के मौसम में जब ताजी मछली न मिले, तब इन्हें खाया जा सके। आज भी, आंध्र, गोवा, बंगाल, उत्तर-पूर्व और राजस्थान जैसे इलाकों में मांसाहारी अचार पारंपरिक रूप से घरों में बनाए जाते हैं और कई बार पीढ़ियों से उसी 'दादी-नानी की रेसिपी' का पालन होता है।