पिछले साल नवंबर में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने हैदराबाद के अंडर-19 कप्तान समेत 5 खिलाड़ियों को उम्र संबंधी गड़बड़ी के मामले में बैन कर दिया था। इन खिलाड़ियों को प्रतिष्ठित वीनू मांकड़ ट्रॉफी (अंडर-19 ) के लिए हैदराबाद की टीम में चुना गया था। जांच में इनका जन्म प्रमाणपत्र जाली निकला, जिसके बाद बीसीसीआई ने उम्र धोखाधड़ी मामले में अपनी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत उन पर बैन लगा दिया। अब ये खिलाड़ी दो साल तक किसी तरह का क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे। बैन पूरा होने के बाद वे सीनियर क्रिकेट खेल सकते हैं लेकिन उन्हें एज-ग्रुप में एंट्री नहीं मिलेगी।
भारतीय क्रिकेट में उम्र में धोखाधड़ी ऐसे मामले हर साल आते रहते हैं। साल 2016 में इंडिया-ए और भारतीय अंडर-19 टीम के तत्कालीन हेड कोच राहुल द्रविड़ ने एक इवेंट में उम्र में हेरा-फेरी की तुलना फिक्सिंग से की थी।
वैभव सूर्यवंशी की उम्र को लेकर गरमाया मामला
पिछले कुछ सालों में जम्मू कश्मीर के पेस ऑलराउंडर रसिख सलाम डार और 2018 अंडर-19 वर्ल्ड कप फाइनल के हीरो मनजोत कालरा जैसे उम्र संबंधी गड़बड़ी के हाई-प्रोफाइल केस आए हैं। रसिख सलाम ने अपनी उम्र 2 साल कम बताया था। जिसके बाद उन्हें दो साल का बैन झेलना पड़ा। हाल ही में बिहार के वैभव सूर्यवंशी की वास्तविक उम्र को लेकर सवाल उठे थे। 13 साल के वैभव आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट पाने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर हैं। उन्हें आईपीएल 2025 मेगा ऑक्शन में राजस्थान रॉयल्स ने 1 करोड़ 10 लाख रुपए में खरीदा था।
आईपीएल ऑक्शन में वैभव के करोड़पति बनते ही उनके पुराने इंटरव्यू की चर्चा होने लगी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह 27 सिंतबर 2023 को 14 साल के हो जाएंगे। वैभव के उस बयान को आधार मान लोगों ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचाया कि इस क्रिकेटर की असली उम्र 13 साल नहीं बल्कि 15 साल है। इसके बाद वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी को सफाई देनी पड़ी थी कि उनके बेटे की उम्र में कोई गड़बड़ी नहीं की गई है। संजीव सूर्यवंशी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा था, 'जब वैभव की उम्र साढ़े 8 साल थी तब उसे बीसीसीआई के बोन टेस्ट गुजरना पड़ा था। वो भारत की अंडर-19 टीम के लिए डेब्यू कर चुका है। हमें ऐसा कोई डर नहीं है। जरूरत पड़ने पर वैभव फिर से जांच करवाने के लिए तैयार होगा।'
वैभव के पिता के बयान के बाद लोगों के जेहन में सवाल आया कि बीसीसीआई बोन टेस्ट से सही उम्र का पता कैसे लगाता है? यह कितना सटीक होता है या उम्र में किए गए फर्जीवाड़े को कैसे पकड़ा जाता है? चलिए इसकी पूरी प्रक्रिया समझते हैं।
कैसे होता है बोन टेस्ट?
बीसीसीआई साल 2012 के बाद से टैनर व्हाइटहाउस 3 (TW3) मेथड का इस्तेमाल कर रहा है जिससे कलाई की हड्डियों के विकास के आधार पर प्लेयर की उम्र का पता लगाया जाता है। प्लेयर के बाएं हाथ की कलाई के एक्स-रे को बीसीसीआई के रेडियोलॉजिस्ट को भेजा जाता है, जिसके बाद रिजल्ट सामने आता है। हालांकि यह टेस्ट 16 साल तक के प्लेयर्स का ही सटीक उम्र बता पाता है क्योंकि इसके बाद शरीर की लंबी हड्डियां जुड़ जाती हैं। ऐसे में WT3 मेथड ज्यादा उम्र वाले प्लेयर्स पर कारगर साबित नहीं होता है।
बीसीसीआई के आयु परीक्षण और एंटी-डोपिंग कंसल्टेंट डॉ. अभिजीत साल्वी ने ईसपीएनक्रिकइंफो से 2019 में बताया था, 'कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां प्लेयर के डॉक्यूमेंट साबित करते हैं कि वह 16 साल से कम उम्र का है लेकिन उसके हड्डी की परिपक्वता कुछ और ही संकेत देती है।' ऐसे में उम्र वेरिफिकेशन में पास होने के बावजूद उस प्लेयर को मैदान पर उतरने से रोका भी जा सकता है।
कहां होता है बोन टेस्ट?
राज्य क्रिकेट एसोसिएशन ही खिलाड़ियों का टेस्ट करवाते हैं, जो बीसीसीआई के ऑब्जर्वर की निगरानी में होता है। यहां टेस्ट होने के बाद सैंपल को BCCI AVP डिपार्टमेंट को भेजा जाता है। AVP डिपार्टमेंट सैंपल को प्रॉपर फॉर्मेट में कलेक्ट कर बोन एज का पता लगाने के लिए बीसीसीआई के रेडियोलॉजिस्ट को भेजता है।
वेरिफिकेशन कैसे करता है BCCI?
ऐसे प्लेयर्स जो सीधे अंडर-19 या अंडर-23 सिस्टम में आते हैं उनका वेरिफिकेशन प्रक्रिया थोड़ा जटिल होता है। जन्मतिथि को वेरिफाई करने के लिए बीसीसीआई जन्म प्रमाणपत्र और स्कूल के मार्कशीट को देखती है। पासपोर्ट और 10वीं-12वीं के पासिंग सर्टिफिकेट अन्य सहायक डॉक्यूमेंट्स हैं। कई मामलों में देखा गया कि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले प्लेयर्स को इन डॉक्यूमेंट्स को उपलब्ध नहीं करा पाते थे। हाथ से लिखे पंचायत जन्म प्रमाणपत्र को वेरिफाई करने में बीसीसीआई को मुश्किलें आती थीं। ऐसे में बोर्ड ने फैसला किया कि 2019-20 सीजन से सिर्फ जन्म और मृत्यु रजिस्ट्री से जारी किए गए डिजिटल प्रमाणपत्र को ही स्वीकर किया जाएगा।