भारतीय टीम को घरेलू टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई टीम इंडिया ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी भी गंवा दी। टीम को 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-3 से करारी शिकस्त मिली। भारतीय टीम की इन दोनों हार की सबसे बड़ी वजह बल्लेबाजी रही। सीनियर बल्लेबाज बुरी तरह से फ्लॉप साबित हुए थे। कप्तान रोहित शर्मा ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 3 टेस्ट मैचों में 31 रन ही बना सके। वहीं विराट कोहली बार-बार एक ही तरीके से आउट हो रहे थे। 


महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने विराट कोहली के लगातार ऑफ स्टंप से बाहर की गेंदों पर आउट होने के बाद बैटिंग कोच की भूमिका पर सवाल उठाए थे। अब बीसीसीआई ने इसमें जल्दी सुधार करने का मन बना लिया है। क्रिकबज की रिपोर्ट के मुताबिक, बोर्ड ने कोचिंग स्टाफ को मजबूत करने के लिए बैटिंग कोच के विकल्प को तलाशना शुरू कर दिया है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या गौतम गंभीर से बीसीसीआई का भरोसा उठ गया है?


गंभीर के रहते बैटिंग कोच की जरूरत क्यों?

 

ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद बीसीसीआई ने 11 जनवरी को रिव्यू मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में हेड कोच गौतम गंभीर, कप्तान रोहित शर्मा और चीफ सेलेक्टर गौतम गंभीर मौजूद थे। क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, मीटिंग के दौरान कोचिंग स्टाफ के रोल पर काफी चर्चा हुई। इसके बाद बोर्ड इस नतीजे पर पहुंचा कि बल्लेबाजी में सुधार लाने के लिए एक्सपर्ट की जरूरत है। इसके घरेलू क्रिकेट के दिग्गजों की ओर देखा जा रहा है। हालांकि अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। गौतम गंभीर खुद एक दिग्गज बल्लेबाज रहे चुके हैं लेकिन बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बाद वो भी सवालों के घेरे में हैं। हालांकि बतौर हेड कोच उनकी जगह सुरक्षित है। 


टीम इंडिया के कोचिंग स्टाफ में अभी कोई बैटिंग कोच नहीं है। अभिषेक नायर और रेयान टेन डेशकाटे असिस्टेंट कोच की भूमिका में हैं। नायर और डेशकाटे का रोल स्पष्ट नहीं है। इसीलिए बैटिंग कोच लाने की बात चल रही है। हाल ही में खबर ये भी आई थी इन दोनों को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि नायर-डेशकाटे के योगदान पर बोर्ड ने सीनियर खिलाड़ियों से फीडबैक मांगा है।