टेस्ट क्रिकेट में लगातार मिल रही हार के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने 11 जनवरी को रिव्यू मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में बोर्ड के अधिकारियों ने कप्तान रोहित शर्मा, हेड कोच गौतम गंभीर और चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर से टीम के प्रदर्शन का हिसाब मांगा। साथ ही कई अन्य मुद्दों पर बातचीत हुई। मीटिंग में ये बात भी सामने आई कि बीसीसीआई प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ियों को सैलरी देने पर विचार कर रहा है। अगर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो पैसे भी काटे जाएंगे। एक तरह से ऐसा पेमेंट सिस्टम कार्पोरेट सेक्टर में अपने कर्मचारियों पर लागू किया जाता है।

 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीसीसीआई इस नए पेमेंट सिस्टम को इसलिए लाना चाहती है ताकि खिलाड़ी और ज्यादा जवाबदेह हों। एक सूत्र ने अखबार से कहा, 'तमाम सुझावों में एक यह भी था कि खिलाड़ियों को जवाबदेह बनाया जाए और अगर उनका प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं पाया जाता है, तो उनके पैसे काटे जाएं।' इस सिस्टम के आने का मतलब है कि पिछले साल शुरू की गई टेस्ट क्रिकेट इंसेटिव स्कीम में बदलाव देखने को मिलेगा।

 

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क्या है टेस्ट क्रिकेट इंसेटिव स्कीम?

 

इस स्कीम के तहत खिलाड़ियों को मैच फीस (15 लाख) के अलावा भी पैसे मिलते हैं। इसे टेस्ट क्रिकेट के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। साथ ही सिर्फ टेस्ट खेलने वाले प्लेयर्स को वित्तिय प्रोत्साहन देने की भी कोशिश थी।

 

ऐसे तय होता है किसे, कितने रुपए मिलेंगे

 

टेस्ट क्रिकेट इंसेटिव स्कीम के मुताबिक, एक सीजन में 50 प्रतिशत से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने वाले प्लेयर्स को मैच फीस के अलावा 30 लाख रुपए अलग से मिलते हैं। वहीं अगर कोई खिलाड़ी 75 प्रतिशत से ज्यादा टेस्ट मैचों का हिस्सा रहता तो उसे 45 लाख रुपए ऊपर से दिए जाते हैं। प्लेइंग-XI से बाहर रहने वाले खिलाड़ी को भी इंसेटिव दिया जाता है। मान लीजिए कि अगर किसी खिलाड़ी ने एक सीजन के 50 प्रतिशत टेस्ट खेल लिए हैं और वह स्क्वॉड में है लेकिन प्लेइंग-XI में उसे मौका नहीं मिला है तो उस प्लेयर को मैच फीस के अलावा 15 लाख रुपए अतिरिक्त मिलेंगे। इसी तरह से 75 प्रतिशत मैच खेलने वाले खिलाड़ी को प्लेइंग-XI से बाहर रहकर भी 22.5 लाख रुपए मिलता है।