18 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप टाइटल जीत ली है। उन्होंने सिंगापुर में खेले गए 14 राउंड के फाइनल में चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराया। गुकेश सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बने हैं। उनसे पहले रूस के गैरी कैस्परोव ने 1985 में 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था। गुकेश ने इस साल अप्रैल में FIDE कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर लिरेन को चुनौती देने के लिए क्वालिफाई किया था। तब गुकेश सबसे युवा (17 साल) कैंडिडेट्स चैंपियन भी बने थे।

 

चेन्नई के रहने वाले डी गुकेश का पूरा नाम डोम्माराजू गुकेश है। उन्होंने पहली कक्षा से ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। शुरुआत में गुकेश ने भास्कर नागैया से कोचिंग ली थी। नागैया इंटरनेशनल चेस खिलाड़ी रहे हैं। वह चेन्नई में चेस के होम ट्यूटर हैं। उनके बाद विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को चेस की जानकारी देने के साथ ट्रेनिंग दी। गुकेश ने चेन्नई के वेल्लमा मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल (मोगाप्पैर ब्रांच) से पढ़ाई की है। इस स्कूल को चेस की फैक्ट्री कहते हैं।

 

 

भारत को दिए 17 ग्रैंडमास्टर 

 

मोगाप्पैर में स्थित वेल्लमा मैट्रिकुलेशन स्कूल ने भारत को 17 ग्रैंडमास्टर दिए हैं। गुकेश के अलावा प्रज्ञानंद, ए अधिबान और एसपी सेथुरमन जैसे ग्रैंडमास्टर इसी स्कूल से निकले हैं। इस स्कूल का संचालन वेल्लमा एजुकेशनल ट्रस्ट करता है। खिलाड़ियों को करियर की शुरुआत में स्पॉन्सर नहीं मिलते हैं, तो स्कूल की ओर से मदद की जाती है।

 

गुकेश ने चौथी कक्षा के बाद नहीं दी है सलाना परीक्षा

 

डी गुकेश के पिता के नाम डॉ रजनीकांत है। वह पेशे से आंक, नाक और गला रोग स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं। गुकेश की मां पद्मा माइक्रो बायोलॉजिस्ट हैं। पिता रजनीकांत ने गुकेश की रुचि को देखते हुए उन्हें चेस खेलने के लिए खूब प्रेरित किया। खेल और‎ पढ़ाई के बीच तालमेल बनाने में दिक्कत न हो ‎इसलिए चौथी कक्षा के बाद नियमित पढ़ाई करने ‎से छूट भी दी। एक इंटरव्यू में रजनीकांत ने ‎बताया है कि गुकेश ने प्रोफेशनल चेस खेलना ‎शुरू करने के बाद से सलाना परीक्षा नहीं दी है।