भारत में क्रिकेट का इतिहास अब लगभग 100 साल का हो चुका है। देश में गली-गली में क्रिकेट न सिर्फ खेला जाता है बल्कि लोग इसे धर्म की तरह पूजते भी हैं। देश में होने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट के अलावा कई अन्य स्तर पर भी क्रिकेट खेला जाता है। ऐसा ही एक क्रिकेट टूर्नामेंट है- रणजी ट्रॉफी। हर साल राज्यों के बीच खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट की प्रतिष्ठा एक शानदार इतिहास से जुड़ी है। इसी टूर्नामेंट ने देश को कई महान क्रिकेटर, कोच और अन्य लोग दिए हैं जिन्होंने इस खेल को और समृद्ध बनाया है। आइए जानते हैं इस टूर्नामेंट के नाम और इसकी शुरुआत की कहानी।

 

आजादी से पहले ही भारत में अंग्रेजों ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उच्च कुलीन वर्गों के लोग भी धीरे-धीरे इस खेल से जुड़ रहे थे। साल 1934 में बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया (BCCI) ने एक टूर्नामेंट की शुरुआत की। उस वक्त इसका नाम 'द क्रिकेट चैंपियनशिप ऑफ इंडिया' रखा गया। बाद में इसका नाम जामनगर के महाराजा कुमार रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया। उन्हीं को लोग रणजी के नाम से बुलाया जाता था। रणजीत सिंह के नाम पर इसका नाम रखने की वजह यह है कि उन्हें ही भारत का पहला क्रिकेट खिलाड़ी कहा जाता है।

 

किसने दी थी ट्रॉफी?

 

दरअसल, इस टूर्नामेंट की शुरुआत से 38 साल पले ही 16 साल के रणजीत सिंह पढ़ाई करने इंग्लैंड गए थे। उन्होंने वहीं पर 1896 में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। क्रिकेट में भी वह खूब मशहूर हुए।  कुल 15 टेस्ट मैच में उन्होंने 2 शतक और 6 अर्धशतक के साथ 989 रन बनाए। वहीं, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 307 मैच खेलकर 24,692 रन बनाए। उन्होंने 72 शतक और 109 अर्धशतक लगाए। साल 1933 में जब उनका निधन हुआ तब तक उन्हें देश के महान क्रिकेटर के तौर पर जाना जाने लगा था। बाद में इसी का नाम बदला गया और इसका नाम रणजी ट्रॉफी कर दिया गया। तब पटियाला के महाराजा भुपिंदर सिंह ने रणजीत सिंह की याद में BCCI को एक ट्रॉफी भी दी थी।

 

रणजी ट्रॉफी का पहला 4 नवंबर 1934 को मद्रास और मैसूर के बीच चेन्नई के चेपॉक क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया। तब से यह टूर्नामेंट हर साल खेला जाता है और इसमें देश के तमाम राज्यों की टीमें हिस्सा लेती हैं। इसे देश के घरेलू क्रिकेट के सबसे प्रतिष्ठित खेलों में गिना जाता है क्योंकि इसी टूर्नामेंट के जरिए हर साल कई खिलाड़ी अपनी पहचान बनाते हैं। अब तो आईपीएल और अन्य क्रिकेट लीग खेलने वाली टीम के मैनेजर और अन्य लोग भी इस टूर्नामेंट पर नजर रखते हैं और वहीं से खिलाड़ियों को चुनते भी हैं।