भारत और इंग्लैंड के बीच 5 टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला लीड्स के हेडिंग्ले क्रिकेट ग्राउंड पर जारी है। टीम इंडिया ने इस मुकाबले की पहली पारी में 471 रन बनाए थे, जिसके जवाब में मेजबान टीम 465 रन तक पहुंच गई। भारत को 6 रन की मामूली बढ़त मिल पाई। जसप्रीत बुमराह ने अकेले इंग्लैंड की आधी टीम को निपटाया। दुनिया के इस नंबर 1 टेस्ट गेंदबाज ने 83 रन देकर 5 विकेट झटके। 

 

घर से बाहर टेस्ट मैचों में उन्होंने 12वीं बार 5 विकेट हॉल लिया। इसके साथ ही बुमराह ने भारत के लिए विदेशी टेस्ट में सबसे ज्यादा बार पंजा खोलने के मामले में कपिल देव की बराबरी की। बुमराह को दूसरे छोर से बाकी तेज गेंदबाजों का उतना सहयोग नहीं मिला। अगर मोहम्मद सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा प्रभाव डालने में सफल रहते तो भारत को बड़ी बढ़त मिल सकती थी। तीसरे दिन (22 जून) का खेल खत्म होने तक दूसरी पारी में भारत का स्कोर 2 विकेट के नुकसान पर 90 रन है। टीम इंडिया के पास कुल बढ़त 96 रन की है।

प्रसिद्ध ने जमकर लुटाए रन

तीसरे पेसर के रूप में प्लेइंग-XI में शामिल किए गए प्रसिद्ध कृष्णा ने भले ही 3 विकेट चटकाए लेकिन उन्होंने 20 ओवर में 128 रन लुटा दिए। प्रसिद्ध की इकॉनमी 6.40 की रही। मोहम्मद सिराज ने 27 ओवर में 4.51 की इकॉनमी से 122 रन देकर 2 विकेट झटके। शार्दुल ठाकुर से 6 ओवर ही गेंदबाजी करवाई गई, जिसमें उन्होंने 6.33 की इकॉनमी से 38 रन दिए। दूसरी ओर बुमराह की इकॉनमी 3.36 की रही। यह अंतर बताता है कि बुमराह ने कैसे इंग्लिश बल्लेबाजों पर लगाम लगाए रखा। अगर उनका प्रदर्शन भी ठीक नहीं रहता तो अंग्रेज बढ़त भी बना सकते थे।

 

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पिछले एक साल से यही कहानी जारी

यह पहला टेस्ट मैच नहीं था जब बुमराह ने अकेले सामने वाली टीम से टक्कर ली। 2024 की शुरुआत से यह कहानी जारी है। बुमराह 15.07 की औसत से 78 विकेट झटक चुके हैं, जबकि बाकी पेसर्स ने महज 80 विकेट ही ले पाए हैं। इस दौरान उनकी औसत 33 से ज्यादा की रही है। अगर यह अंतर कम नहीं हुआ तो भारत को इंग्लैंड में सीरीज गंवानी पड़ सकती है। 

 

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बुमराह ने पिछली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 13.06 की औसत से 32 विकेट झटके थे। इसके बावजूद भारत सीरीज नहीं जीत सका। कारण साफ है कि उन्हें दूसरे छोर से पर्याप्त सपोर्ट नहीं मिला। इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज में भारत के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है कि बुमराह 3 ही मैच खेल पाएंगे। जिन मैचों में वह खेल रहे हैं और उन्हें दूसरे गेंदबाजों को साथ नहीं मिलता है तो भारत को खाली हाथ लौटना पड़ेगा।