भारत में क्रिकेट की बात होती है तो इसमें पटौदी परिवार का जिक्र जरूर होता है। मंसूर अली खान पटौदी भारत के लिए न सिर्फ लंबा खेले बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी बने। हम एक ऐसे पटौदी की बात कर रहे हैं जो न सिर्फ भारत के लिए खेले बल्कि वह अंग्रेजों की टीम में भी शामिल रहे। उन्होंने क्रिकेट के अलावा पोलो में भी हाथ आजमाए। उम्र के साथ बीमार हो जाने की वजह से उन्हें क्रिकेट छोड़ना पड़ा।

 

यह कहानी मंसूर अली खान पटौदी के पिता और सैफ अली खान के दादा नवाब मोहम्मद इफ्तिखार अली खान की है। साल 1970 में 17 मार्च को जन्मे इफ्तिखार अली खान की शादी भोपाल के कर्नल हम्मीदुल्ला खान की बेटी बेगम साजिदा सुल्तान की से हुई। वह साल 1917 से 1052 तक पटौदी के नवाब भी रहे। दाएं हाथ से बल्लेबाजी करने वाले इफ्तिखार अली खान पटौदी ने साल 1932 में इंग्लैंड के खिलाड़ी के तौर पर डेब्यू किया। एशेज सीरीज खेलने गई इग्लैंड टीम में उन्हें खिलाया गया।

सिर्फ 3 टेस्ट ही खेल पाए

साल 1934 के जून महीने में इंग्लैंड के लिए अपना आखिरी टेस्ट मैच खेलने वाले इफ्तिखार आगे चलकर भारत के खिलाड़ी बन गए। साल 1946 में जब भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर गई तो कप्तान इफ्तिखार अली खान पटौदी भारतीय टीम के कप्तान थे। वह भारत के लिए सिर्फ 3 ही टेस्ट मैच खेल पाए। उनका मन था कि वह वापस चले जाएं और इंग्लैंड में ही क्रिकेट खेलने लगें। 

 

खेल से मोहब्बत ऐसी थी कि इसी ने उनकी जान ले ली। क्रिकेट छूट जाने पर इफ्तिखार अली खान पटौदी पोलो खेला करते थे। 5 जनवरी 1952 को वह दिल्ली के पोलो ग्राउंड में पोलो खेलने गए थे। तब उनके साथ 11 साल के मंसूर अली खान पटौदी भी थे। अचानक इफ्तिखार अपने घोड़े से गिर गए और उन्हें गंभीर चोटें आईं। बहुत कोशिशें हुईं लेकिन इफ्तिखार अली खान पटौदी को बचाया नहीं जा सका और उनकी मौत हो गई।