आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के सेमीफाइनल में भारत और न्यूजीलैंड की टीमें पहुंच चुकी हैं। ये दोनों टीमें ग्रुप-ए में हैं। वहीं ग्रुप-बी से साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बीच सेमीफाइनल में जगह बनाने की होड़ है। आज (28 फरवरी) अफगानिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की टक्कर लाहौर में होनी है। इस मुकाबले में जीत दर्ज करने वाली टीम अगले राउंड के लिए क्वालिफाई कर जाएगी। 

 

फंस सकता है नेट रन रेट का पेंच

 

अगर अफगानिस्तान की टीम ऑस्ट्रेलिया को हरा देती है तो वह 4 अंक के साथ सेमीफाइनल में प्रवेश कर जाएगी। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया के पास 3 अंक ही रह जाएंगे। ऐसे में कंगारू टीम को दुआ करनी होगी कि इंग्लैंड के खिलाफ साउथ अफ्रीका को बड़ी हार का सामना करना पड़े। क्योंकि साउथ अफ्रीका के पास भी 3 ही अंक हैं लेकिन उसका नेट रन रेट (2.140) ऑस्ट्रेलिया (0.475) से काफी बेहतर है। 

 

अफगानिस्तान से हारने पर ऑस्ट्रेलिया के नेट रन रेट में गिरावट दर्ज होगी। इसी वजह से ऑस्ट्रेलियाई टीम चाहेगी कि साउथ अफ्रीका के खिलाफ इंग्लैंड एकतरफा जीत दर्ज करे, ताकि जब सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए नेट रन रेट पर मामला आए, तब उसकी स्थिति प्रोटियाज टीम से अच्छी हो।

 

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कैसे काम करता नेट रन रेट?

 

कोई टीम प्रति ओवर के हिसाब से कितने रन बनाती है और प्रति ओवर कितने औसत रन देती है, इस आधार पर नेट रन निकाला जाता है। नेट रन रेट कैलकुलेट करने का फॉर्मूला है: बैटिंग रन रेट (कुल बनाए गए रन/कुल खेले गए ओवर) - बॉलिंग रन रेट (कुल दिए गए रन/कुल फेंके गए ओवर)। अगर कोई टीम निर्धारित ओवर्स की संख्या से पहले ऑल-आउट हो जाती है, तब भी उनका नेट रन रेट पूरे ओवर के आधार पर ही कैलकुलेट किया जाएगा। 

 

साउथ अफ्रीका के ही उदाहरण से समझते हैं। टीम ने अफगानिस्तान के खिलाफ 21 फरवरी को निर्धारित 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 315 रन बनाए थे। इसके बाद उन्होंने अफगानी टीम को 43.3 ओवर में ही 208 रन पर ढेर कर मुकाबला जीत लिया। इस मैच में साउथ अफ्रीका का बैटिंग रन रेट 6.3 (315/50) और बॉलिंग रन रेट 4.16 (208/50) का रहा। 6.3 में से 4.16 घटाने पर 2.14 आएगा, जो साउथ अफ्रीका का मौजूदा नेट रन रेट है। 

 

लक्ष्य का पीछा करते हुए भी कोई टीम जीतती है तो इसी फॉर्मूले से नेट रन रेट निकाला जाता है। 

 

DLS मेथड से प्रभावित होने पर कैसे होता है कैलकुलेशन?

 

अगर एक पारी के बाद बारिश आ जाती है तो DLS मेथड के अनुसार, जो संशोधित टारगेट होता है उसका उपयोग नेट रन रेट कैलकुलेशन के लिए किया जाता है। एक उदाहरण से समझिए। अगर कोई टीम 50 ओवर में 300 रन बनाती है और बारिश के कारण ओवर घटने पर सामने वाली टीम को 30 ओवर में 200 रन का संशोधित लक्ष्य मिलता है तो कैलकुशन इसी संशोधित टारगेट (30 ओवर में 200 रन) पर किया जाएगा।