मुंबई के एक उद्दमी आर्यन सिंह कुशवाह ने 28 दिसंबर को X (पूर्व में ट्विटर) पर कैब ड्राइवर पराग पाटिल की भावुक कहानी शेयर की थी। उन्होंने लिखा था कि पराग पाटिल ने इंटनरेशनल इवेंट में भारत के लिए दो गोल्ड और 11 सिल्वर जीते हैं। इसके बावजूद वह कैब चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। आर्यन से मुलाकात के दौरान पराग पाटिल ने कहा था कि वह ओलंपियन भी हैं।
आर्यन कुशवाह का पोस्ट वायरल होने बाद एथलीट वेलफेयर को लेकर बहस छिड़ गई। कई लोगों ने पराग पाटिल की हालत पर सरकार को भी दोषी ठहराया। लेकिन क्या ये कहानी उतनी ही सच्ची है जितनी बताई जा रही है? आइए असली कहानी जानते हैं।
जानें पूरी सच्चाई
पराग पाटिल ने कभी समर ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं किया है। उन्होंने सीनियर ओलंपिक में भाग लिया है, जो वरिष्ठ एथलीट्स के लिए आयोजित होता है। इस इंटरनेशनल इवेंट में वरिष्ठ एथलीट्स को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिलता है।
चुनौतियों से भरा है पराग पाटिल का करियर
पराग पाटिल ने इंटनरेशनल एथलीट करियर की शुरुआत 30 साल की उम्र में की थी। उन्होंने नौकरी करने के साथ-साथ ट्रेनिंग भी जारी रखी जिसकी बदौलत वह इंटरनेशनल इवेंट्स में भाग लेने लगे। पराग पाटिल ने 2013 में वरिष्ठ एथलीट्स के इंटरनेशनल चैंपियनशिप में 3 सिल्वर जीता था। इसके बाद उन्होंने 2015 ऑस्ट्रेलियन मास्टर्स गेम में हिस्सा लिया और दो गोल्ड और दो सिल्वर अपने नाम किया। वह महंगे ब्याज दर पर लोन लेकर इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में भाग लेने के लिए जाते थे।
उदाहरण के तौर पर देखें तो पराग पाटिल ने इटली में हुए सीनियर ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए 17 प्रतिशत मासिक ब्याज दर पर लोन लिया था। इटली में उन्होंने कई रात खाली पेट गुजारी। इसके बावजूद वह सिल्वर और दो ब्रॉन्ज के साथ लौटे। भारत आने पर पराग की न तो उतनी चर्चा हुई और न ही सपोर्ट मिला। कम मीडिया कवरेज और सरकार की ओर से सहायता नहीं मिलने के कारण पराग पाटिल कर्ज के बोझ तले दब गए। अब उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए कैब चलाना पड़ा रहा है।