क्रिकेट इतिहास में भारत-पाकिस्तान के खिलाड़ियों के बीच प्रतिद्वंद्विता के कई दिलचस्प किस्से सुनने को मिलते हैं। इन्हीं में से एक है रमाकांत देसाई और हनीफ मोहम्मद के बीच की भिड़ंत की कहानी। पाकिस्तानी टीम 1960-61 में भारत दौरे पर 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने आई। भारतीय तेज गेंदबाज रमाकांत देसाई ने इस पूरी सीरीज में पाकिस्तान के दिग्गज बल्लेबाज हनीफ मोहम्मद को अपनी तीखी बाउंसर से खूब परेशान किया। रमाकांत ने 9 पारियों में हनीफ को 4 बार पवेलियन भेजा। भारतीय टीम के फैंस मजाक में हनीफ को 'रमाकांत का बकरा' कहकर बुलाने लगे थे। 

 

'मेरा आत्मविश्वस हिला दिया'

 

5 टेस्ट मैचों की सीरीज में सईद अहमद (460) के बाद हनीफ (410) दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। इस दौरे से ढाई साल पहले उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 337 रन की मैराथन पारी खेली थी। इस दौरान हनीफ ने 970 मिनट क्रीज पर बिताए थे, जो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास की सबसे लंबी पारी है। हालांकि भारत दौरे पर वह रमाकांत के बाउंसर्स को झेल पाने में नाकाम रहे। हनीफ ने पीटीआई के लिए कॉलम लिखते हुए इस सीरीज का जिक्र किया था और कहा था कि रमाकांत ने मेरा आत्मविश्वास दिला दिया था। 

 

'टाइनी देसाई' के नाम से जाने जाते थे रमाकांत

 

5 फिट 4 इंच लंबे रमाकांत देसाई ने भारत के लिए 19 साल की उम्र में टेस्ट डेब्यू किया। 1959 में वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली में खेले गए उस टेस्ट मैच में रमाकांत ने 49 ओवर डाले थे और 4 विकेट झटके थे। टेस्ट डेब्यू के कुछ ही महीनों बाद रमाकांत भारतीय गेंदबाजी आक्रमण के अगुवा के तौर पर इंग्लैंड दौरे पर गए। लॉर्ड्स टेस्ट में इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान उन्होंने 89 रन देकर 5 विकेट चटका दिए। इसके बाद क्रिकेट की बाइबल कही जाने वाली विजडन पत्रिका ने उनकी दुर्लभ क्षमता, साहस और आउट स्विंगर की तारीफ की। 

 

छोटे कद के रमाकांत को 'टाइनी देसाई' के नाम से भी जाना जाता था। अपनी आग उगलती गेंदबाजी के अलावा वह बल्ले से भी उपयोगी योगदान देने में माहिर थे। रमाकांत ने 1960 में पाकिस्तान के खिलाफ ब्रेबोर्न टेस्ट में 10वें नंबर पर आकर 85 रन बनाए थे। इसके अलावा उन्होंने 1968 में न्यूजीलैंड के खिलाफ डुनेडिन में टूटे जबड़े के साथ नाबाद 32 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली थी। भारत यह मुकाबला 5 विकेट जीत गया लेकिन रमाकांत फिर कभी टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सके। 1969 में उन्होंने महज 30 साल की उम्र में सभी तरह के क्रिकेट से संन्यास ले लिया। रमाकांत ने 9 साल लंबे अपने इंटरनेशनल करियर में 28 टेस्ट खेले, जिसमें भारत को चार मैचों में जीत मिली। इस दौरान उन्होंने 37.31 की औसत से 74 विकेट झटके। टेस्ट क्रिकेट में रमाकांत ने दो बार 5 विकेट हॉल लिया।

 

सचिन को बनाया कप्तान

 

रमकांत देसाई 1996 में सेलेक्शन कमिटी के चेयरमैन बने थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने सचिन तेंदुलकर को टीम इंडिया का कप्तान बनाया था। हालांकि सचिन की अगुवाई में भारतीय टीम कुछ खास नहीं कर सकी। सचिन के प्रदर्शन पर भी असर पड़ रहा था। ऐसे में रमाकांत देसाई ने सचिन को कप्तानी से हटा दिया। गिरते स्वास्थ्य के कारण उन्होंने अपने पद से भी इस्तीफा दे दिया। इसके एक महीने बाद 27 अप्रैल 1998 को रमाकांत देसाई ने 58 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।