कभी जैवलिन थ्रो में यूरोपियन एथलीट्स का दबदबा रहता था लेकिन अब भारत के नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम की तूती बोल रही है। नीरज मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन हैं तो अरशद ओलंपिक चैंपियन हैं। भारतीय उपमहाद्वीप से नीरज और अरशद की तरह एक और जैविलन थ्रोअर तेजी से उभरकर सामने आय है, जिसकी गिनती जैवलिन के अगले सुपरस्टार में की जा रहा है। बात हो रही है कि श्रीलंका के रुमेश थरंगा की, जिन्होंने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में पर्थ क्लासिक इवेंट में गोल्ड जीता है। थरंगा ने 2 मार्च (रविवार) को 85.41 मीटर दूर जैविलन फेंक पहला स्थान हासिल किया था। इस जीत के साथ वह वर्ल्ड जैवलिन रैंकिंग में 25वें स्थान पर पहुंच गए हैं।

 

क्रिकेट छोड़ जैवलिन में बनाया करियर

 

21 साल के रुमेश थरंगा पहले क्रिकेट खेलते थे। महज 16 साल की उम्र में उन्होंने 134 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद डाली थी। उस समय श्रीलंका में वह जूनियर लेवल पर सबसे तेज गेंद डालने वाले गेंदबाजों में शुमार किए जाते थे। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क के फैन रुमेश थरंगा ने क्रिकेट को छोड़ ट्रैक एंड फील्ड में करियर बनाने का फैसला किया। वह नीरज और अरशद को अपनी प्रेरणा मानते हैं।

 

यह भी पढ़ें: कौन हैं प्रणव वेंकटेश, जिन्होंने जीती वर्ल्ड जूनियर चेस चैंपियनशिप

 

थरंगा का घर श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से 50 किलोमीटर दूर होराना गांव में है। उनके पिता पुलिस में हैं। थरंगा को शुरू से ही क्रिकेट के अलावा ट्रैंक एंड फील्ड में भी दिलचस्पी थी। वह क्रिकेट और ट्रैक एंड फील्ड दोनों में ही टैलेंटेड थे। थरंगा ने दोनों ही खेल में अपना करियर आगे बढ़ाना चाहते थे लेकिन चोटिल होने के खतरे को देखते हुए उन्होंने जैवलिन पर ही फोकस किया। उन्हें जैवलिन के लिए राजी करने में उनके कोच टोनी प्रसन्ना का बड़ा हाथ था। 

 

थरंगा ने जैवलिन ही क्यों चुना? 

 

रुमेश थरंगा के लिए क्रिकेट छोड़कर जैवलिन थ्रो में करियर बनाने का फैसला लेना आसान नहीं था। क्रिकेट में ग्लैमर के साथ कमाई भी जबरदस्त है। वहीं ट्रेक एंड फील्ड को फंड की कमी से जूझना पड़ता है लेकिन क्रिकेट में राजनीति और लक फैक्टर को देखते हुए उन्होंने जैवलिन को अपनाया। 

 

थरंगा के कोच ने स्पोर्ट्स्टार से कहा, 'क्रिकेट में सफल होने के लिए कई फैक्टर हैं। टैलेंट के अलावा बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह का सपोर्ट सिस्टम मिलता है, आप किस तरह के क्लब के लिए खेलते हैं या कोई प्रभावशाली व्यक्ति आपको पहचानता है या नहीं। मैंने क्रिकेट में बहुत से टैलेंट को आगे बढ़ते नहीं देखा है। ट्रैक एंड फील्ड जैसे व्यक्तिगत इवेंट में आपको कोई नहीं रोक सकता। अगर आप 85 मीटर थ्रो करते हैं, तो सभी इसे देखते हैं। यहां आप किसी को अपनी मर्जी से नहीं रख सकते। मैंने रुमेश से कहा कि ट्रैक एंड फील्ड ही वह जगह है जहां उसकी असली क्षमता देखी जा सकती है।'

 

यह भी पढ़ें: मानसी जोशी: पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी जिसे दुनिया ने किया सलाम

 

नीरज की तरह बनना चाहते हैं थरंगा

 

नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम में से कौन ज्यादा पंसद है? इसके जवाब में थरंगा ने बताया कि वह भारतीय सुपरस्टार की तरह बनना चाहते हैं। थरंगा ने कहा, 'मैं अरशद और नीरज दोनों से प्रेरित हूं। मुझे पिछले 4-5 सालों में नीरज की निरंतरता पसंद है। वह लगातार बड़े थ्रो करते हैं। अगर वह छह थ्रो करते हैं, तो वे सभी 86 मीटर से दूर जाएंगे। अरशद पॉवरफुल थ्रोअर हैं। वह 90-91 मीटर को पार कर जाते हैं, लेकिन वह किसी इवेंट में शायद एक बार ही ऐसा कर पाते हैं। मुझे नीरज की निरंतरता ज्यादा पसंद है। वह ऐसे एथलीट हैं जिनकी तरह मैं बनना चाहता हूं।'

 

ओलंपिक गोल्ड जीतने का है सपना

 

रुमेश थरंगा पहली बार तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने पिछले साल 15 मई को कोरिया में हुए एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। थरंगा ने 85.45 मीटर दूर थ्रो किया था। वह सिर्फ 5 सेंटीमीटर के अंतर से पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए क्वालिफाई करने से चूक गए थे। थरंगा का मानना है कि सिर्फ 20 साल की उम्र में 85 मीटर की दूरी पार करने से उन्हें आत्मविश्वास मिला। अब वह अगली बार केवल क्वालिफाई नहीं मेडल जीतने के बारे में सोचेंगे। थरंगा ने कहा कि मैंने सुना है कि भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी करने के लिए बिड कर रहा है। मुझे बहुत अच्छा लगेगा कि मैं भारत में ओलंपिक गोल्ड जीतने के बाद संन्यास लूं।