फॉस्ट बॉलिंग के सुपरहीरो शोएब अख्तर बचपन में चलना तो दूर ठीक से खड़े भी नहीं पाते थे। 3 साल की उम्र में उन्हें काली खांसी की बीमारी भी हो गई थी। एक डॉक्टर ने उनकी मां से कहा था कि आपका बेटा कभी दौड़ नहीं पाएगा। दरअसल, शोएब के तलवे फ्लैट थे। इस वजह से वह साल की उम्र तक चल नहीं पाते थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में अपने बचपन को याद करते हुए कहा था कि मैं बाथरूम रेंगकर जाता था। 

 

समय ने करवट ली और वह बीमारी से मुक्त हुए। इसके बाद शोएब चलने के बजाए सीधे दौड़ने लगे। शोएब ने सोशल मीडिया पर अपने घुटने का एक्स-रे शेयर करते हुए लिखा था, 'एक बच्चा जो 6 साल की उम्र तक ठीक से चल तक नहीं पाता था, वो आगे चलकर क्रिकेट इतिहास में सबसे तेज बॉलर बन गया। इसलिए सपने देखना कभी मत छोड़िए।' शोएब अख्तर 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद डालने वाले पहले तेज गेंदबाज हैं। उन्होंने 2002 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 100 मील के बैरियर को तोड़ा था।

 

 

21 साल से नहीं टूटा सबसे तेज गेंद का रिकॉर्ड

 

शोएब अख्तर ने 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ 161.3 किलोमीटर प्रति घंटे (100.2 मील प्रति घंटे) की रफ्तार से गेंद डाली थी। यह इंटरनेशनल में आज तक सबसे तेज गेंद बना हुआ है। 21 साल बीत जाने के बावजूद दुनिया का कोई गेंदबाज इसे तोड़ नहीं पाया है। 

 

सचिन-द्रविड़ को बोल्ड हासिल की प्रसिद्धि 

 

साल 1999 में शोएब अख्तर ने कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेले गए टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गजों को लगातार गेंदों पर पवेलियन भेजा था। शोएब ने पहले द्रविड़ को खतरनाक यॉर्कर पर बोल्ड किया। फिर इसके बाद उन्होंने अगली गेंद भी यॉर्कर डाली जिस पर सचिन का स्टंप उखड़ गया। दो लगातार गेंदों पर सचिन और द्रविड़ को बोल्ड करने के बाद शोएब रातों-रात स्टार बन गए थे।   

 

चोटों से प्रभावित रहा करियर

 

रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब की रफ्तार से दुनियाभर के बल्लेबाज खौफ खाते थे। हालांकि उनका करियर चोटों से प्रभावित रहा। शोएब ने पाकिस्तान के लिए 46 टेस्ट, 163 वनडे और 15 टी20I मुकाबले खेले। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 171 विकेट लिए जबकि वनडे में 247 बल्लेबाजों का शिकार किया। टी20 इंटनरनेशनल में उनके नाम 19 विकेट दर्ज है। ये आंकड़े ज्यादा खराब नहीं हैं लेकिन शोएब की महानता की गवाही नहीं देते। इससे कहीं ज्यादा वह प्रभावशाली थे।